Saturday, November 23"खबर जो असर करे"

उत्तर प्रदेश में नशे के विरुद्ध महाअभियान

– मृत्युंजय दीक्षित

आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार नशे के खिलाफ एक महाअभियान आरम्भ किया गया है जिसकी हर जगह प्रशंसा हो रही है। नशे के विरुद्ध इस अभियान की निगरानी स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं और इसका प्रभाव सामने आने लगा है।

प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों के पीछे एक बड़ा कारण युवाओं का नशे की ओर बढ़ता झुकाव भी है। अधिकांश छोटे -बड़े अपराधों में गांव शहर कस्बों व गलियों तथा पार्कों में बैठकर नशे का धुआं उड़ाने वाले , स्मैक, चरस गांजा आदि का इस्तेमाल करने वाले लोग ही शामिल होते हैं जो अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में रामराज्य की स्थापना का संकल्प लिया है। अब वे प्रदेश के युवाओं को नशे के दलदल से बचाने के लिए चल पड़े हैं । अभी तक यह अभियान बैनर पोस्टर लगाने और नशे के विरुद्ध प्रचार तक ही सिमटा हुआ था जिसके कारण समस्या कम होने के बजाय बढ़ती चली जा रही थी ।

अब प्रदेश में मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) का गठन किया गया है। नशे के कारोबारियों की संपत्तियां जब्त किए जाने के साथ ही उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों और चौराहों पर चस्पा करने का निर्देश जारी किया गया है। नशीले पदार्थों की कमाई से जुटाई गई संपत्तियों पर बुलडोजर भी चलेगा। एएनटीएफ प्रदेश की सीमाओं पर गोवंश की तस्करी पर भी शिकंजा कसेगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने युवाओें के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं के पास लगने वाली तंबाकू व पुड़िया बेचने वाली सभी दुकानों को हटाने का दिशा निर्देश भी जारी किया है और साथ ही सभी स्कूलों में छात्रों को तंबाकू के खिलाफ जागरूक किया जाएगा जिसमें उन्हें तंबाकू व अन्य नशीली सामग्री के सेवन से होने वाले शारीरिक था मानसिक दुष्प्रभाव के विषय में जानकारी दी जाएगी।

एएनटीएफ को के लिए पूरे प्रदेश को तीन क्षेत्रों पश्चिम, मध्य व पूर्व में बांटा गया है। हर क्षेत्र के प्रभारी पुलिस उपाधीक्षक होंगे। एएनटीएफ फ़ोर्स ने मादक पदार्थों और अवैध शराब की मांग को कम करने के लिए संबिधत एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर काम करना आरम्भ कर दिया है। मादक पदार्थों का सेवन कम करने के लिए लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। इस अभियान में प्रथम चरण में 250 तेज तर्रार अफसरों को लगाया गया है। यह फोर्स पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय बनाकर काम करेगी। पड़ोसी राज्यों की सीमा से जुड़े जिलों की पुलिस की भी सक्रियता बढ़ाई जाएगी। फोर्स को पहली बार मादक पदार्थों व अवैध शराब के जब्तीकरण,एफआईआर पंजीकरण व विवेचना की शक्तियां प्राप्त होंगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जन सामान्य से अपील की है कि नशे के सौदागरों के खिलाफ जो जो अभियान चल रहा है उसमें समाज के प्रत्येक नागरिक को अपनी भागीदारी दिखानी होगी क्योंकि यह युवाओं के साथ -साथ देश को बचाने का अभियान है। जहरीली शराब हो या फिर किसी भी प्रकार के ड्रग्स यह युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का षड्यंत्र है जिसे अभियान चलाकर समाप्त करना होगा। मुख्यंमत्री का कहना है कि हमारा युवा इस अभियान का हिस्सा बने। किसी भी नशे के खिलाफ हमें मिलकर लड़ना होगा। नशे के कारोबार को राष्ट्रीय अपराध घोषित करते हुए सरकार की ओर से दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री के कड़े निर्देशों के बाद पुलिस ने मादक पदार्थों के तस्करों की काली कमाई से जुटाई गई संपत्तियों को जब्त किए जाने की कार्रवाई तेज कर दी है। 29 अगस्त तक तस्करों की 14.79 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की है। अवैध शराब के कारोबार में लिप्त 4060 आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया है। अभी तक मादक पदार्थों के तस्करों के विरुद्ध 606 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 675 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है तथा 8.60 करोड़ से अधिक मूल्य के मादक पदार्थ बरामद किए गये हैं।

नशा आज के समाज में दीमक की तरह युवाओं को बर्बाद कर रहा है। हर गली व नुक्कड़ तथा पार्कों में नशे का धुआं उड़ाते हुए लोग मिल जाएंगे। सरकार की ओर से पहली बार यह ठोस कदम उठाया गया है लेकिन यह तभी सफल हो पाएगा जब यह जन आंदोलन बनेगा । जिस प्रकार से स्वच्छता अभियान को जन आंदोलन बनाया गया। हर घर तिरंगा अभियान चलाया गया, उसकी छटा अनुपम हो गई थी और हर युवा के हाथों में तिरंगा तथा जिह्वा पर भारतमाता के जयघोष गूंज रहे थे। जब यह अभियान भी उसी लय और ताल में चलेगा तब नशामुक्ति अभियान का संकल्प पूरा हो सकेगा।

नशे के खिलाफ समाज को जागरूक करने की आवश्यकता तो है ही, साथ ही नशे का सामान जहां से आता है, उस स्रोत को तथा उसके आने के सभी मार्ग हमेशा के लिए बंद करने होंगे। प्रदेश के जंगलों में ही अवैध शराब की फैक्ट्रियां चल रही हैं जिन्हें राजनैतिक दलों व दबंगों के आकाओें का समर्थन हासिल है। जब किसी जगह पर जहरीली शराब के पीने से लोगों की मौत हो जाती है तब पुलिस कार्यवाही और छापे पड़ते हैं। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि नशे के कारोबारी अदालत में जाकर बचने न पाए। यह लोग बड़ी आसानी से बहाने बनाकर अदालत से जमानत पा जाते हैं और बाहर आकर पर फिर अपने काम में लग जाते हैं। पिछली सरकारों ने भी एक बार प्रदेश में पान मसाला और पुड़िया आदि बेचने पर रोक लगा दी थी लेकिन सब टांय –टांय फिस्स हो गया।

नशे का कारोबार पान की दुकान से भी चलता है और केमिस्ट की दुकान से भी, हर गली व हर दूसरे घर में नशे का कारोबारी भी मौजूद है और उसका सेवन करने वाले लोग भी । अतः सरकार का यह कदम स्वागत योग्य तो है किंतु यह सतत चलने वाली प्रक्रिया के रूप में होना चाहिए जो किसी भी हालत में धीमी न हो। यदि रामराज्य के संकल्प काल में भी अपराधियों व नशे के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई तो जनमानस को निराश होगा।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक हैं।)