Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

तेजस्वी यादव पर बीजेपी का पलटवार, कहा- ईडी से बचने के लिए नित्यानंद राय से मिले थे लालू के बेटे

पटना । बिहार (Bihar) के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) को लेकर दिए गए बयान पर राजनीति गर्मा गई है। बीजेपी (BJP) ने इस पर पलटवार करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी का नित्यानंद राय की आरजेडी में जाने की इच्छा का दावा झूठा है। यह उनके मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है। ईडी से बचने के लिए खुद तेजस्वी यादव ने नित्यानंद राय से मुलाकात की थी।

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सोमवार को हुई वोटिंग के दौरान तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नित्यानंद राय ने उनसे मिलकर आरजेडी में आने की इच्छा जताई थी। तेजस्वी ने दावा किया कि नित्यानंद ने उनसे कहा था कि बीजेपी में उनका दम घुट रहा है। इस मुद्दे पर अब बीजेपी नेता तेजस्वी पर हमलावर हो गए हैं।

बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि तेजस्वी यादव का यह दावा बालू की दीवार की तरह झूठा है। यह अनर्गल प्रलाप है जो नेता विपक्ष के मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है। तेजस्वी खुद को नित्यानंद के सामने बौना समझ रहे हैं, इसलिए वे ऐसा बयान दे रहे हैं। नित्यानंद राजनीति में तेजी से उभर रहे हैं, जिससे आरजेडी नेताओं को अपनी दुकानदारी बंद होने का डर सताने लगा है। इसी डर से वे बिना सिर पैर की बात कर रहे हैं।

बीजेपी के बिस्फी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा है कि ईडी से बचने के लिए खुद तेजस्वी यादव ने नित्यानंद राय से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि यादवों में नित्यानंद की बढ़ती लोकप्रियता से तेजस्वी यादव घबराए हुए हैं, इसलिए कुछ भी उटपटांग बोल रहे हैं।

बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. निखिल आनंद ने कहा कि लालू परिवार को नित्यानंद राय से ही नहीं, परिवार के बाहर के हर यादव से दिक्कत है। लालू परिवार कभी भी नहीं चाहता कि यादव समाज का कोई व्यक्ति उनके परिवार से बाहर केंद्र या राज्य में मंत्री बने, किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बने या फिर नित्यानंद की तरह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बने।

प्रदेश प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को पता होना चाहिए कि मंत्री बनने के पहले नित्यानंद राय प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष थे। उनके अध्यक्ष काल में आरजेडी एक सीट भी नहीं जीत पाई थी।