कल्पनाएं जब सजती और संवरती हैं तो उम्मीदों को पंख लग जाते हैं। इरादे और हौसले मजबूत हो जाते हैं। मंजिल खुद-ब-खुद तय हो जाती है। पूर्वांचल के भदोही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ग्रामीण विकास की सोच जमीन पर उतरती दिखती है। भदोही कालीन का हब है। यहां कालीन तैयार होते हैं। देश के नए संसद भवन में भदोही की कालीन बिछाई गई हैं। पूर्वांचल में वैसे अच्छे खासे शैक्षिक संस्थान हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय यहां की शैक्षणिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं। लेकिन पूर्वांचल की 70 फीसदी आबादी कृषि अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। यहां पलायन अधिक है। आर्थिक विपन्नता की वजह से युवाओं के प्रतियोगी स्पर्धा के सपने अधूरे रह जाते हैं। लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए भदोही जनपद से शुरू हुई एक नवाचार की पहल उत्तर प्रदेश और देश के लिए एक मिसाल बनती दिखती है।
भदोही के युवा जिला कलेक्टर गौरांग राठी की एक अनूठी पहल पूरे उत्तर प्रदेश और देश की सोच बदल सकती है। भदोही को शहर-ए-कालीन भी कहा जाता है। दुनिया भर से यहां कालीन निर्यात होता है। हालांकि शैक्षिक विकास को लेकर यहां बहुत कुछ नहीं हुआ है। लेकिन गांवों में नवाचार के तहत ‘ग्राम ज्ञानालय’ की स्थापना कर युवाओं को नई दिशा देने की पहल शुरू की गई है। इस तरह ग्रामीण अंचलों में स्थापित किए जा रहे ग्राम ज्ञानालय में युवाओं के लिए अकादमिक स्तर की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जनपद के 546 ग्राम पंचायतों में आधुनिक ‘ग्राम ज्ञानालय’ की स्थापना की तरफ बड़ी तेजी से कदम बढ़ रहे हैं।
भदोही जनपद में तकरीबन 150 गांवों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। शुरू में ही जॉब की तैयारी करने और पढ़ने वाले करीबन 4000 युवा और छात्र-छात्राएं इससे जुड़कर उच्च गुणवत्ता परक शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं। इसकी वजह से उनके शैक्षिक विकास का आधार बेहद मजबूत हो रहा है। पूरे देश में अपनी तरह का आधुनिक सोच को प्रदर्शित करने वाला यह ‘ग्राम ज्ञानालय’ युवाओं को तेजी से आकर्षित कर रहा है। योगी सरकार के जनप्रतिनिधि इसमें बढ़-चढ़ कर सहभागिता करते दिखते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विकास प्राथमिकता के कार्यक्रमों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिलाधिकारी गौरांग राठी ने पीपीटी के माध्यम से ‘ग्राम ज्ञानालय’ के विजन से शासन को अवगत कराया है। मुख्य सचिव नवाचार की इस अनूठी पहल से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इस तरह की सुविधा पूरे उत्तर प्रदेश और देश में उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
युवाओं में शैक्षणिक विकास और प्रतियोगी स्पर्धा पैदा करने के लिए यह नवाचार अपने तरह का अकल्पनीय है। युवाओं के सपनों को आयाम देने के लिए ग्राम पंचायतों में इस तरह के ज्ञानालय यानी वाचनालय की स्थापना की जा रही है। वाचनालय में भरपूर पुस्तक, फर्नीचर, सीसीटीवी, स्मार्ट टीवी और ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा अभ्युदय योजना के तहत रिटायर्ड शिक्षक, प्रवक्ता और दूसरे विषय के विशेषज्ञ इन छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं। संबंधित पंचायत या ग्राम सचिवालय भवन में ही एक खास कमरा बनाकर वहां संचालित किया जा रहा है। गांव के पंचायत प्रतिनिधि इसमें खासी भूमिका निभा रहे हैं।
ग्रामीण अंचलों में युवाओं में शिक्षा को लेकर अच्छी खासी ललक है। लेकिन अधिकांश परिवारों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। वैसे भी उत्तर प्रदेश सरकार दलित और पिछड़े छात्रों को लखनऊ में इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराती है, लेकिन वहां सभी नहीं पहुंच पाते हैं। सामान्य और गरीब परिवारों से होने के नाते सुख सुविधाओं के अभाव में नई दिल्ली, प्रयागराज, वाराणसी, जयपुर जैसे शहरों में जाकर कोचिंग कक्षाएं नहीं ले सकते हैं। क्योंकि उनके घर की माली हालत उस तरीके की नहीं है। लेकिन ऐसे बच्चे जो कड़ी स्पर्धा में अपने को खुद साबित करना चाहते हैं उनके लिए ग्राम ज्ञानालय अनूठे हैं। देश की चर्चित ऑनलाइन कोचिंग संस्थान खान सर और दूसरी अकेडमिक कोचिंग सेवाओं की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रतियोगिता दर्पण, क्रॉनिकल और अन्य स्तरीय मासिक पत्रिकाएं और अच्छे प्रकाशन की महंगी किताबें उपलब्ध हैं।
जिलाधिकारी गौरांग राठी बताते हैं कि पूर्वांचल के युवाओं में पढ़ने की एक अजीब लगन हमने देखी है। वे पढ़ना चाहते हैं लेकिन यहां सामान्य कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए सुविधाएं बेहतर उपलब्ध नहीं हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है कि वह दिल्ली प्रयागराज, वाराणसी, जयपुर या दूसरे शहरों में जाकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग ले सकें। हालांकि राज्य और केंद्र सरकार कमजोर वर्ग के ऐसे युवाओं को राजधानी में कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराती हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार ग्रामीण विकास को लेकर बेहद संजीदा है। अब गांव को सीधे आर्थिक सुविधाएं मिल रहीं हैं। उन्हें अच्छी खासी स्कॉलरशिप भी दी जाती है। लेकिन हर परिवार के युवा शहर तक नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे हालात में ग्राम ज्ञानालय बेहतर विकल्प हैं। यहां अध्ययन की आधुनिक सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जॉब की तैयारी करने वाले युवा और युवतियां अपनी मंजिल को आयाम दे सकते हैं। देश के सुदूर ग्रामीण अंचलों में ऐसी शैक्षणिक सुविधा आधुनिक समय की मांग है। लोगों को इसके लिए आगे आना चाहिए।