सूत्रों ने बताया कि वह शख्स प्लांट माइक्रोलॉजिस्ट है और लंबे समय से मशरूम और विभिन्न पौधों के कवक पर रिसर्च कर रहा था। इसके पहले पौधों पर काम करने वाला कोई भी शख्स इस तरह से पौधों के फंगस से संक्रमित नहीं हुआ है। इस नए मामले के सामने आने के बाद इस पर नए सिरे से शोध शुरू हो चुका है। इसके साथ ही इस बात की आशंका भी बढ़ने लगी है कि पौधों के फंगस से मनुष्य में भी घातक संक्रमण फैल सकता है।
संक्रमित होने के बाद उस शख्स की आवाज भारी और कर्कश हो गई थी। भोजन निगलने में समस्या हो रही थी और लगातार थकान की शिकायत भी कर रहा था। तीन महीने तक इस समस्या से जूझने के बाद उसे डॉक्टरों को दिखाया गया। वहां एक्स-रे और सीटी स्कैन करने पर पता चला कि सिटी स्कैन के रिजल्ट में गर्दन में पैरा ट्रिचिकल फोड़ा नजर आया, जो सांस लेने के मार्ग को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है। उसके सैंपल को डब्ल्यूएचओ सहयोग केंद्र फॉर रिसर्च ऑन फंगी ऑफ मेडिकल इंपॉर्टेंस में जांच के लिए भेजा गया। यहां से चोंड्रोस्टरिम परप्योरियम इलाज सुझाया गया, जिसके बाद शख्स की हालत सुधर रही है।
कोलकाता के एक निजी अस्पताल की शोधकर्ता ने बताया कि पौधों से इंसानों में फंगस के संक्रमण की पारंपरिक तकनीक माइक्रोस्कोपिक इस संक्रमण को पहचानने में विफल रही है। इसीलिए यह संक्रमण चिंता बढ़ाने वाला है। बहरहाल, उस शख्स को हुए संक्रमण पर शोध जारी है और राज्य स्वास्थ्य विभाग को भी इस बारे में रिपोर्ट दी गई है। लोगों के बीच इसे लेकर पैनिक न हो, इसलिए पीड़ित व्यक्ति का नाम उजागर नहीं किया गया है। (हि.स.)