Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

पाकिस्तान को 370 पर क्यों लगी सबसे ज्यादा मिर्ची?

– मुकुंद

बात भारत की है। भारत के आंतरिक मामले की है। मगर सबसे ज्यादा मिर्ची पाकिस्तान को लगी है। साफ है अच्छे पड़ोसी का धर्म पाकिस्तान कभी निभा नहीं सकता। अनुच्छेद 370 पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आतंकवाद को पालने-पोसने वाले पाकिस्तान ने जहर उगला है। उसकी बौखलाहट से साबित होता है कि उसकी नजर जम्मू-कश्मीर पर लगी हुई है। मगर उसे अब यह ध्यान रखना होगा यह नेहरू, इंदिरा, राजीव और मनमोहन सिंह वाला भारत नहीं है। यह नया भारत है। यह नया भारत राष्ट्रवादी नेता नरेन्द्र मोदी का है। यह भारत आंख तरेरने वाले के शरीर को मरोड़ने की ताकत रखता है। आखिर कौन होता है पाकिस्तान, जो यह कहे कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कोई कानूनी महत्व नहीं है। उसे यह कहने का कतई हक नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत की 5 अगस्त, 2019 की एकतरफा और अवैध कार्रवाइयों को मान्यता नहीं देता है। बोलने की सबको आजादी है। सो पाकिस्तान को जो बोलना हो बोले। उसे दुनिया गंभीरता से नहीं लेती है। डंके की चोट पर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के अगस्त 2019 के फैसले को बरकरार रखा है, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था।

यह फैसला आते ही पाकिस्तान का कार्यवाहक विदेशमंत्री जलील अब्बास जिलानी प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है। वह कहता है, ‘कश्मीरियों को संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुसार आत्मनिर्णय का अधिकार है। भारत को कश्मीरी लोगों और पाकिस्तान की इच्छा के खिलाफ इस विवादित क्षेत्र की स्थिति पर एकतरफा निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।’ जिलानी ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर विवाद सात दशकों से अधिक समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में बना हुआ है। पाकिस्तान की इस टिप्पणी का कोई मायने नहीं है। वह जम्मू-कश्मीर का राग अलापता ही रहता है। जिलानी कान खोल कर सुन लो, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। वह भारत का है। भारत का रहेगा। तुम देखते जाओ, आगे होता है और क्या-क्या। जिलानी ने इस संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल पर कहा कि पाकिस्तान इस फैसले के बाद भी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति कायम रखना चाहेगा। जिलानी याद रखो, तुम्हारी इस बात पर कोई भरोसा नहीं कर सकता। न ही किया जाना चाहिए।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने अपनी शराफत दिखा दी है। कहा है कि भारत की शीर्ष अदालत ने पक्षपातपूर्ण निर्णय सुनाया है। इन टिप्पणियों से लगता कि इस फैसले से समूचा पाकिस्तान बिलबिला गया है। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि एक बार फिर यह साबित हो गया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन नहीं करता है। भारत के आंतरिक मामलों पर बेसिरपैर की बात करना पाकिस्तान के नेताओं के लिए नई बात नहीं है। मुल्क को आतंकवाद और आर्थिक संकट की भट्ठी पर झोंकने वाले यह नेता भूल रहे हैं कि झूठी तकरीरों से जनता का पेट नहीं भरता। उसके लिए ईमानदार शासन चाहिए होता है। यह दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में सच्चा लोकतंत्र कभी नहीं रहा। वह फौजी हुकूमत का आदी है।

बकवास कर रहे पाकिस्तान के हुक्मरानों अब हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दहाड़ सुन लो। उन्होंने कहा है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। यह सिर्फ कानूनी फैसला नहीं है। यह उम्मीद की किरण और एक मजबूत एवं अधिक एकजुट भारत के निर्माण के सामूहिक संकल्प का प्रमाण है। यह फैसला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए आशा, प्रगति और एकता की शानदार घोषणा का प्रतीक है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने और जस्टिस बीआर गवई एवं जस्टिस सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है। शीर्ष अदालत ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा है। केंद्र सरकार ने इसी दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था।

इस फैसले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सही कहा है कि सरकार के 5 अगस्त, 2019 के फैसले को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का फैसला देश के इतिहास में दर्ज किया जाएगा। मेहता ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 से पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया में इकलौते वकील के रूप में शामिल और उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष दलीलें रखने के कारण यह उनके लिए भी ऐतिहासिक पल है। पाकिस्तान के नेताओं यह भी सुन लो उन्होंने यह भी कहा है कि यह केवल हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और हमारे गृहमंत्री अमित शाह का दृढ़ संकल्प और शानदार रणनीति है जिसने इस ऐतिहासिक फैसले को संभव बनाया। देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा। तुषार मेहता ने कहा है कि मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सरदार वल्लभभाई पटेल की आत्मा को आज संतुष्टि मिली होगी, क्योंकि जिस प्रावधान को वह भारत के संविधान में शामिल किए जाने से रोक नहीं सके थे, वह आखिरकार हटा दिया गया है। वह नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को आशीर्वाद दे रहे होंगे।

पाकिस्तान की सत्ता के सौदागरों बार-बार पढ़ लो भारत के प्रधानमंत्री मोदी और तुषार मेहता की टिप्पणी को। मेहता ने जिन सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र किया है, उनके बारे में न जानते हो तो, जान लो। एक वाकया से समझ लो। वह है-3 जनवरी, 1948 का। भारत का विभाजन हुए छह महीने होने को थे। कश्मीर में कबायली आक्रमण जारी था। पाकिस्तान की शह पर जारी हमले से सरदार पटेल क्षुब्ध थे। इस बंटवारे से बंगाल भी क्षुब्ध था। तब कलकत्ता में इसी रोज लोगों ने एक सभा रखी। सरदार पटेल इस सभा में खुलकर बोले। इतना बोले कि उसकी तासीर देर तक देश को महसूस हुई।

भारत में तब भी एक तबका ऐसा था, जिसे लगता था कि भारत और पाकिस्तान का बंटवारा बनावटी है। एक दिन ऐसा जरूर आएगा, जब दोनों देश एक हो जाएंगे। डॉ. राम मनोहर लोहिया ने तो भारत-पाकिस्तान महासंघ तक का सुझाव दिया था। मगर सरदार पटेल ने भारत-पाकिस्तान एकता के प्रस्ताव को दो-टूक शब्दों में खारिज कर दिया था। पटेल ने कहा था, ‘आपने पाकिस्तान बनाया, बहुत ठीक है। आपको मुबारक हो, लेकिन भारत-पाकिस्तान एक नहीं हो सकते।’ सरदार पटेल ने कहा था कि पाकिस्तान खुली यानी आमने-सामने की लड़ाई नहीं कर रहा। वह अपने आदमी, हथियार और रास्ता कश्मीर पर हमले के लिए दे रहा है। बेहतर हो कि पाकिस्तान आमने-सामने की लड़ाई लड़ ले। पाकिस्तान के जिलानियों यह बताने का अर्थ है, अभी भी वक्त है सुधर जाओ। वरना नया भारत अपनी मातृभूमि पर नजर रखने वाले को मटियामेट करने की क्षमता रखता है।