संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने संयुक्त राष्ट्र विश्व जल रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में दुनिया 2.4 अरब शहरी आबादी के सामने जल संकट की बात कही गयी है। बताया गया है कि एशिया में तीन चौथाई से अधिक आबादी जल संकट से जूझ रही है। इनमें भी पूर्वोत्तर चीन, भारत और पाकिस्तान पर ये संकट सबसे ज्यादा है। अनुमान लगाया गया है कि इस संकट से भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। ग्लेशियर पिघलने के कारण सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस समय दुनिया की 26 प्रतिशत आबादी को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है। सिर्फ 46 प्रतिशत आबादी ही सुरक्षित पेय जल का लाभ उठा पा रही है। दुनिया में औसतन ढाई अरब लोग साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी से जूझते हैं।
यूनेस्को के महानिदेशक आंड्रे एजोले ने कहा है कि इस वैश्विक संकट से बाहर निकलने से पहले तत्काल प्रयास किये जाने की जरूरत है। जल मानवता के लिए खून की तरह है। यह लोगों के जीवन, स्वास्थ्य, लचीलेपन, विकास के लिए आवश्यक है। समय हमारे साथ नहीं है और करने को बहुत कुछ है। (हि.स.)