भोपाल। रक्षाबंधन का चांद होगा बेहद खास । ब्लूमून नाम से दिखने जा रहे इस सुपरमून की चमक जहां आम पूर्णिमा की तुलना में अधिक होगी वहीं उसका आकार भी कुछ बड़ा दिखेगा । नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि हमारे से लगभग 3 लाख 57 हजार 181 किमी दूर रहकर चांद आज अपनी पृथ्वी की परिक्रमा करते हुये निकट बिंदु पर होगा इस कारण वह माइक्रोमून की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखेगा ।
सारिका ने बताया कि दो पूर्णिमा के बीच 29.5 दिन का अंतर होता है और अगर पहली पूर्णिमा महीने की 1 या 2 तारीख को आती है तो दूसरी पूर्णिमा भी उस ही माह आ जाती है । एक ही अंग्रेजी कैलेंडर माह में दो पूर्णिमा आने पर दूसरी पूर्णिमा के चंद्रमा को मंथली ब्लूमून नाम दिया गया है । 1 अगस्त को पूर्णिमा के बाद आज 30 अगस्त को दूसरी पूर्णिमा है ।
ब्लूमून का दूसरा प्रकार सीजनल ब्लूमून होता है, अगर 3 महीने के किसी खगोलीय सीजन में 4 पूर्णिमा आती है तो तीसरी पूर्णिमा का चांद सीजनल ब्लूमून कहलाता है । सीजनल ब्लूमून कम बार आता है । एक अनुसंधान के अनुसार 1100 सालों में 408 सीजनल ब्लूमून तथा 456 मंथली ब्लूमून की घटना की गणना की गई है ।अगला ब्लूमून 2024 में 19 अगस्त को होगा और यह सीजनल ब्लूमून होगा ।
सारिका ने बताया कि यह सुपरब्लूमून नीला नहीं दिखेगा बल्कि पूर्णिमा कें चांद की तरह ही चमक रहा होगा । दुर्लभ वस्तुओं या घटनाओं के नाम के आगे ब्लू लगा दिया जाता है । अत: मान्यता के अनुसार कुछ लोगों ने इसे ब्लूमून नाम दिया है ।
सारिका ने बताया कि नीले नहीं सफेद चमक के साथ दिखने जा रहे ब्लूमून नाम के सुपरमून की चमक को देखिये रक्षाबंधन बनाते हुये और हां इसे नाम दे सकते हैं तिरंगामून क्योंकि हमारे तिरंगे के साथ चहलकदमी कर रहा है प्रज्ञान रोवर, इस चांद के शिवशक्ति पाइंट के आसपास ।