
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने व्यापार करने में आसानी के लिए वर्जीनिया तम्बाकू उत्पादक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र और खलिहान के संचालन के लिए लाइसेंस को 01 साल के बजाय तीन साल के लिए नवीनीकृत करने का निर्णय लिया है, ताकि वर्जीनिया तंबाकू उत्पादक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र और खलिहान के संचालन के लिए लाइसेंस के अनिवार्य वार्षिक नवीनीकरण के बोझ को कम किया जा सके।
इसका मतलब है कि पंजीकरण/लाइसेंस हर साल नवीनीकरण की मौजूदा प्रथा के बजाय 3 साल की अवधि के लिए वैध होंगे। लाइसेंस अवधि को एक से तीन साल तक बढ़ाने से देश के लगभग 91,000 खलिहानों को कवर करने वाले 83,500 किसानों को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों में अपने पंजीकरण के नवीकरण में मदद मिलेगी।
वर्जीनिया तंबाकू के लिए पंजीकरण और लाइसेंस आवश्यक
भारत में वर्जीनिया तंबाकू को संसद के एक अधिनियम अर्थात तंबाकू बोर्ड अधिनियम, 1975 और उसके तहत अधिसूचित नियमों द्वारा विनियमित किया जा रहा है। तंबाकू बोर्ड अधिनियम, 1975 और उसके तहत अधिसूचित नियमों के अनुसार वर्जीनिया तंबाकू की खेती करने के इच्छुक प्रत्येक उत्पादक को उत्पादक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र और खलिहान के संचालन के लिए लाइसेंस प्राप्त करना होगा। तदनुसार तंबाकू बोर्ड वार्षिक आधार पर पंजीकरण/लाइसेंसिंग की सुविधा प्रदान कर रहा है।
भारत दुनिया में गैर-निर्मित तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। (2023 के दौरान मूल्य के संदर्भ में) और भारतीय राजकोष में आय अर्जित कर रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान तंबाकू निर्यात ने भारतीय राजकोष में 1979 मिलियन अमेरिकी डॉलर (16,728 करोड़ रुपये) का योगदान दिया है।