Friday, November 22"खबर जो असर करे"

टीएमयू की इसरो के साथ ऊंची उड़ान

– प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) मुरादाबाद ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संग मिलकर एक ऊंची उड़ान भरी है। गर्व की बात यह है कि इसरो ने टीएमयू को अपना नोडल सेंटर बनाने की सहमति जता दी है। इसरो के स्टार्ट प्रोग्राम के तहत इस नोडल सेंटर में यूजी और पीजी स्टूडेंट्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। बशर्ते यूजी के फाइनल ईयर के स्टुडेंट्स पात्र होंगे। नोडल सेंटर के जरिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। इस प्रोग्राम के तहत वैज्ञानिकों को स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवीनतम एवं उत्कृष्ट तकनीकों के अध्ययन के संग-संग रिसर्च करने का स्वर्णिम अवसर मिलेगा।

टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन, जीवीसी मनीष जैन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन ने इसरो की इस हरी झंडी को यूनिवर्सिटी के लिए बड़ा दिन बताते हुए कहा, इसरो के इस स्टार्ट प्रोग्राम के संग टीएमयू की साझेदारी नया इतिहास लिखेगी। अक्षत जैन ने कहा, हम अपने स्टुडेंट्स को ज्ञान-विज्ञान के संग-संग प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने के प्रति संकल्पित हैं। टीएमयू की ओर से सीसीएसआईटी के प्रिंसिपल प्रो. आरके द्विवेदी सेंटर को-ऑर्डिनेटर बनाए गए हैं। प्रो. द्विवेदी ने बताया कि इसरो के स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी अवेयरनेस ट्रेनिंग- स्टार्ट प्रोग्राम की ओर से ई-क्लासेज़ 15 अप्रैल से 08 मई तक चलेंगी। इस स्टार्ट प्रोग्राम से टीएमयू के बीटेक सीएस, बीटेक एआई, बीटेक डेटा साइंस, एमटेक सीएस, एमसीए, बीसीए, बीएससी ऑनर्स- सीएस, बीएससी एनिमेशन, बीसीए- मोबाइल एप्लीकेशन एंड वेब टेक्नोलॉजी, बीसीए-क्लाउड टेक्नोलॉजी एंड इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी आदि कोर्सेज़ के स्टुडेंट्स लाभांवित होंगे।

उल्लेखनीय है, इसरो देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में स्टार्ट-2024 प्रोग्राम का शंखनाद करने जा रहा है। देशभर के फिजिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी के यूजी और पीजी कोर्स चलाने वाले संस्थान इसके पात्र होंगे। इसरो के इन मानकों की कसौटी पर ही तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी को इसके लिए चुना गया है। स्टार्ट प्रोग्राम का मुख्य मकसद युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के प्रति आकर्षित करना है ताकि हम वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें। इस प्रशिक्षिण के दौरान अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न मॉडयूल शामिल होंगे, जिसमें चयनित स्टूडेंट्स को प्राथमिक जानकारी दी जाएगी। इसरो ने विषयवार प्रशिक्षण की तीन श्रेणियां निर्धारित की हैं।

टीएमयू के प्रशिक्षण की पात्रता प्रथम श्रेणी के दायरे में आती है। इस सघन प्रशिक्षण के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों एवं अनुसंधान अवसरों को लेकर भी सत्र आयोजित किए जाएंगे। टीएमयू की ओर से हिना हाशमी को कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। हिना का कहना है कि इच्छुक स्टुडेंट्स 08 अप्रैल से 12 अप्रैल तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। स्टार्ट प्रोग्राम में चयन का आधार एप्टीटयूड के अलावा शैक्षणिक प्रदर्शन और मेरिट होगी। इसरो के मानक के अनुरूप टीएमयू में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं- स्मार्ट लेक्चर हॉल्स, वातानुकूलित ऑडिटोरियम, हाई स्पीड इंटरनेट आदि उपलब्ध हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुख्य कार्यों में देश के लिए अंतरिक्ष सम्बंधी तकनीक उपलब्ध करवाना व उपग्रहों, प्रमोचक यानों, साउन्डिंग राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास करना शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम डॉ. विक्रम साराभाई की संकल्पना है। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा गया है। वे वैज्ञानिक कल्पना एवं राष्ट्रनायक के रूप में जाने गए। 1957 में स्पूतनिक के प्रक्षेपण के बाद उन्होंने कृत्रिम उपग्रहों की उपयोगिता को भांपा। 1962 में ‘अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति’ (इनकोस्पार) का गठन किया गया। इसके सभापति के रूप में डॉ. साराभाई को नियुक्त किया गया।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की स्थापना के साथ ही इसने अनुसंधित रॉकेट का प्रक्षेपण शुरू किया। 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन किया गया और जून, 1972 में, अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गई। आज अंतरिक्ष में भारत की सबसे बड़ी कामयाबी का परचम लहरा है। इसरो ने एक साथ रिकॉर्ड 104 सैटेलाइट का प्रक्षेपण कर इतिहास रचा है। इन 104 उपग्रहों में भारत के तीन और विदेशों के 101 सैटेलाइट शामिल हैं। प्रक्षेपण के कुछ देर बाद पीएसएलवी-सी37 ने भारत के काटरेसैट-2 शृंखला के पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों तथा 103 नैनो उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। भारत ने इससे पहले जून 2015 में एक बार में 57 उपग्रहों को प्रक्षेपण किया था।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)