Friday, September 20"खबर जो असर करे"

मध्य प्रदेश सरकार के तीन साल, कृषि क्षेत्र में बेमिसाल

– कमल पटेल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का गौरव-गान वैश्विक स्तर पर हो रहा है। देश के सशक्तीकरण में मध्य प्रदेश भी पूरी ताकत से सशक्त भारत के सपने को साकार करने के लगा है। विगत तीन वर्षों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश के किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए सतत प्रयास हुए। चना, मसूर एवं सरसों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन गेहूं के साथ करने के निर्णय से ही किसानों को हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ हुआ है। प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर पुरस्कार प्राप्त करने का भी रिकॉर्ड भी कायम किया है। कृषकों के परिश्रम से सिंचित हमारा प्रदेश नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। सरकार किसानों को फसल का अधिकतम समर्थन मूल्य दिलाने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है।

वर्तमान सरकार ने अप्रैल 2020 से किसानों को लाभान्वित करने के लिए गेहूं से पहले चना, मसूर एवं सरसों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन करने का अभूतपूर्व निर्णय लिया, पूर्व में इनका उपार्जन गेहूं के बाद होता था। सरकार के निर्णय से किसानों को उनकी उपज का सीधे-सीधे एक से 2 हजार रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त लाभ हुआ। व्यापारियों को अपने उद्योगों के लिए चना, मसूर, सरसों की उपज को समर्थन मूल्य से अधिक पर खरीदना पड़ा, इसका लाभ सीधा किसानों को मिला। प्रदेश के किसानों को चना, मसूर, सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग के विक्रय से पिछले तीन वर्षों से प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय हो रही है। इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग समर्थन मूल्य पर 7755 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा।

राज्य सरकार ने किसानों के हित में दिल्ली तक प्रयास कर समर्थन मूल्य पर प्रतिदिन, प्रति किसान 25 क्विंटल गेहूं उपार्जन की सीमा को खत्म कराया। साथ ही चना, मसूर और सरसों की प्रतिदिन उपार्जन की सीमा को 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल कराया। चने का उपार्जन 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सरसों का 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर समान रूप से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर किया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रदेश के किसानों के हित में निर्णय लेते हुए आवश्यक मंजूरियां प्रदान की। इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ ही एक से अधिक बार उपज विक्रय के लिए ले जाने की परेशानी से मुक्ति मिली है।

प्रदेश के किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए विगत तीन साल में समग्र प्रयास किए गए। राज्य सरकार प्रदेश की समृद्धि के लिए किसानों को समृद्ध करने के निरन्तर प्रयास कर रही है, क्योंकि जब किसान समृद्ध होगा, तभी गांव समृद्ध होगा और गांव समृद्ध होगा तो प्रदेश समृद्ध होगा। प्रदेश की समृद्धि में ही देश की समृद्धि निहित है। किसान पुत्रों को किसानी के साथ उद्योगपति बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों को उपज की ग्रेडिंग, सार्टिंग और मॉर्केटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराने को सरकार प्रतिबद्ध है। किसान अपनी कृषि उपज से संबंधी उद्योग लगायें एवं अन्य उत्पाद तैयार कर और अधिक दाम प्राप्त करें।

मध्य प्रदेश वर्ष 2023 मंडी बोर्ड का गोल्डन जुबली वर्ष मना रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में मंडी बोर्ड ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए सर्वाधिक 1681 करोड़ रुपये की आय अर्जित की है। प्रदेश की 14 मण्डियों को हाइटेक बनाया जा रहा है। प्रदेश की सभी 259 मंडियों में आवश्यकतानुसार अधो-संरचनात्मक विकास कार्य किए जा रहे हैं। देश में मध्य प्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने एक एंड्रायड बेस्ड एप्लीकेशन “एमपी फार्म गेट एप” से किसानों को अपने दाम पर, अपने घर, खलिहान एवं गोदाम से अपनी कृषि उपज को कहीं भी बेचने में सक्षम बनाया है। फार्म गेट एप का उपयोग कर 12 हजार 22 किसानों ने 50 लाख क्विंटल विभिन्न कृषि उपज बेची है।

सरकार ने मंडियों की कार्य-प्रणाली को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए ई-अनुज्ञा प्रणाली को लागू किया है। अब कृषि उपज के परिवहन के लिए गेट पास स्वयं व्यापारी बना सकता है। प्रदेश में 58 हजार से अधिक व्यापारियों द्वारा 61 लाख 90 हजार 208 अनुज्ञा-पत्र जारी किए गए हैं। कृषि मंत्री बनने के बाद कृषि विभाग में समस्त कार्यालयीन, पत्राचार एवं सूचना संबंधी कार्यों को हिन्दी भाषा में किए जाने के आदेश जारी हुए। प्रदेश में कृषि आधुनिकीकरण के नए आयाम स्थापित हुए हैं। प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, फसल विविधिकरण के लिए किसानों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

पिछले तीन वर्षों में प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए सरकार ने क्रांतिकारी निर्णय लिये। अधिसूचित फसल क्षेत्र के 100 हेक्टेयर के मापदंड बदलकर 50 हेक्टेयर किया गया। वन ग्रामों, जिनके किसानों को बीमा योजना का लाभ नहीं मिलता था, उन्हें लाभान्वित करने के लिए पटवारी हल्कों में शामिल करवाया। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में स्केल ऑफ फाइनेंस 75 प्रतिशत को बढ़ाकर सौ प्रतिशत किया। किसानों के हित में फसल बीमा की अंतिम तिथि में दो बार वृद्धि करवाई। इतना ही नहीं शासकीय अवकाश दिवसों में भी पहली बार बैंक खुलवा कर बीमा करवाया।

किसानों के हित में विगत तीन वर्षों में प्राकृतिक खेती प्रोत्साहन योजना, एक जिला-एक उत्पाद योजना, जीआई टैग के लिए राज्य योजना, फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना, कृषि अधो-संरचना निधि संचालन योजना, निर्यात प्रोत्साहन योजना, राज्य मिलेट मिशन, एफपीओ गठन एवं संवर्धन योजना, मुख्यमंत्री नरवाई प्रबंधन योजना और कौशल विकास प्रशिक्षण जैसी नवीन योजनाओं को शुरू किया। गेहूं निर्यात के क्षेत्र में मध्य प्रदेश अव्वल स्थान पर है। दलहनी फसलों के उत्पादन में प्रदेश, देश में प्रथम, खाद्यान्न उत्पादन में द्वितीय एवं तिलहनी फसलों में तृतीय स्थान पर है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में गुड-गवर्नेंस इंडेक्स में हमारे राज्य का पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है।

(लेखक, मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री हैं।)