उज्जैन। श्रावण मास की पंचमी अर्थात नागपंचमी इस बार मंगलवार यानी दो अगस्त को मनायी जायेगी। इस दौरान मंदिरों में अधिक भीड़ देखने को मिलेगी, जबकि महाकाल की नगरी उज्जैन में भी तैयारियां पूरी कर ली गई है। यहां पर नागपंचमी पर ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट एक साल बाद सोमवार रात 12 बजे खुलेंगे।
बता दें कि मध्य प्रदेश का धार्मिक इतिहास वैसे तो बड़ा ही विस्तृत है। यह प्रदेश धर्म के लिए अपनी अलग पहचान रखता है। प्रदेश में कई सारे धर्मस्थल ऐसे भी हैं, जो बेहद प्राचीन हैं और साथ ही साथ यह अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। प्रदेश की धार्मिक नगरी कहे जाने वाले शहर उज्जैन की यदि बात करें तो यहां विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल का मंदिर है, जो 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। साथ ही इस मंदिर के ठीक ऊपर भगवान नागचंद्रेश्वर विराजमान हैं, जहां साल में सिर्फ एक बार इस मंदिर के पट खुलते हैं।
नाग पंचमी पर खुलने वाले मंदिर के पट विधि विधान के साथ खोले जाते हैं। परंपरा अनुसार महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरीजी महाराज के सानिध्य में कलेक्टर आशीषसिंह भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन करेंगे। मंदिर में विराजमान भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं।
उज्जैन स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर का यह मंदिर बाबा महाकालेश्वर मंदिर के ठीक ऊपर स्थित है। इस मंदिर के पट साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खोले जाते हैं। वहीं इस बार नाग पंचमी का पर्व 2 अगस्त को आ रहा है, जहां आज यानि सोमवार को 1 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजे मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे, जो 2 अगस्त की मंगलवार की मध्य रात्रि 12 बजे तक खुले रहेंगे। वहीं इसके बाद विधि-विधान के साथ मंदिर के पट साल भर के लिए बंद कर दिए जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि, इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
गौरतलब है कि धार्मिक नगरी उज्जैन काफी प्राचीन नगरों में से एक है, जहां इस शहर की धार्मिक मान्यताएं अपने आप में कई सारे रहस्य लिए हुए है। वहीं महाकालेश्वर मंदिर के ठीक ऊपर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर भी कई रहस्यों से परिचित कराता है, जहां भारत देश का यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। जानकारों की मानें तो इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर की जो प्रतिमा है, वह 11वीं शताब्दी की है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि, नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में तक्षक नाग स्वयं मौजूद रहते हैं।