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महाभारत में काल सर्वोपरि

अवर्गीकृत
- ह्रदय नारायण दीक्षित महाभारत दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इस कथा के दो प्रमुख नायक युधिष्ठिर और अर्जुन विषादग्रस्त होते हैं। दोनों के विषाद की चित्त भूमि एक है। दोनों के विषाद का केंद्र परिवार है। समय का अंतर है। अर्जुन युद्ध तत्पर परिजनों को देखकर विषादग्रस्त होते हैं । युधिष्ठिर इसी युद्ध में मारे गए परिजनों को लेकर व्यथित होते हैं। अर्जुन के विषाद को श्रीकृष्ण का प्रबोधन मिलता है। विषाद प्रसाद बनता है। अर्जुन श्रीकृष्ण से कहते हैं, 'आपके प्रसाद से मेरा मोह नष्ट हो गया - तव प्रसादात्मान अच्युत।' लेकिन युधिष्ठिर अपने भाइयों, व्यास जैसे विद्वानों के प्रबोधन से भी संतुष्ट नहीं होते। युद्ध में व्यापक हिंसा हुई थी। सभी योद्धाओं के अपने विचार थे। धर्म और कर्तव्य की अपनी परिभाषाएं थी। युधिष्ठिर धर्मराज थे। धर्म के आग्रही थे। लेकिन धर्म तत्व को लेकर असमंजस में थे। वनपर्व में यक्ष और युधि...