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भाजपा ने की रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की चिंताः शिवराज

भाजपा ने की रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की चिंताः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि 2005-06 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैं झाबुआ (Jhabua) आया था, तो यहां सड़कें नहीं (no roads) थी, बिजली नहीं (no electricity) आती थी, पानी नहीं था। गांवों में स्कूल, छात्रावास और आश्रम शालाएं नहीं थीं। बच्चों को पढ़ने के लिए मीलों पैदल (had to walk miles) जाना पड़ता था। मैंने संकल्प लिया कि बच्चों को पैदल स्कूल नहीं जाने दूंगा और हमने भांजे-भांजियों को साइकिलें दी। यहां सीएम राइज स्कूल (CM Rise School) भी खोला जा रहा है, जिसमें अच्छे प्राइवेट स्कूलों की तरह लायब्रेरी, लैब, खेल मैदान और सभी सुविधाएं होंगी। उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि यहां विकास का जितना काम भाजपा सरकार ने किया, कभी कांग्रेस ने किया था क्या? हमने पेसा एक्ट लागू करके आदिवासी भाइयों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार दिय...
मानव की तरह ही वन्य-प्राणियों के जीवन की भी चिंता करने की जरूरत: राज्यपाल पटेल

मानव की तरह ही वन्य-प्राणियों के जीवन की भी चिंता करने की जरूरत: राज्यपाल पटेल

देश, मध्य प्रदेश
- मानव जीवन की सुरक्षा के लिए वन और वन्य-प्राणियों को बचाएँ: मुख्यमंत्री चौहान भोपाल (Bhopal)। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि आज विकास की दौड़ में मानव का वन्य-प्राणियों से संघर्ष (conflict with wildlife) हो रहा है और वन क्षेत्र सिमटते (shrinking forest area) जा रहे हैं। हमें प्रयास करना चाहिए कि मानव और वन्य-प्राणियों में संघर्ष न हो। मानव की तरह ही वन्य-प्राणियों के जीवन की भी चिंता करने की जरूरत है। जब तक वन्य-प्राणियों को छेड़ा नहीं जाता है, वह हम पर हमला नहीं करते हैं। राज्यपाल पटेल गुरुवार को मंडला जिले के खटिया में अंतरराष्ट्रीय वन्य-प्राणी संरक्षण एवं वनों की सुरक्षा पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपेक्षा की कि तीन दिन की इस कार्यशाला में वन्य-प्राणियों और मानव के बीच संघर्ष को कैसे कम किया जाए, इस पर विशेष रूप से चर्चा...
जैन-तीर्थ की पवित्रताः चिंता?

जैन-तीर्थ की पवित्रताः चिंता?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक झारखंड के गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखर नामक एक जैन तीर्थ स्थल है। एक दृष्टि से यह संसार के संपूर्ण जैन समाज का अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह वैसा ही है, जैसा कि हिंदुओं के लिए हरिद्वार है, यहूदियों और ईसाइयों के लिए यरूशलम है, मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना है और सिखों के लिए अमृतसर का स्वर्ण मंदिर है। सम्मेद शिखर में जैनों के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है। दुनिया में किसी भी जैन संप्रदाय का कोई भी व्यक्ति कहीं भी रहता हो, उसकी इच्छा यह रहती है कि जीवन में कम से कम एक बार वह सम्मेद शिखरजी की यात्रा जरूर कर ले। मेरे कुछ जैन परिवारजन ने बताया कि अपने बाल्यकाल में वे जब सम्मेद शिखर पर जाते थे तो मुँहपट्टी लगाए रखते थे या मुँह खोलते ही नहीं थे ताकि किसी जीव की हिंसा न हो जाए। ऐसा पवित्र भाव जिस तीर्थ के लिए करोड़ों लोगों के दिल में रहता हो, यदि उ...
जीवन में आरोग्य

जीवन में आरोग्य

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र ‘जीवेम शरद: शतम्’ ! भारत में स्वस्थ और सुखी सौ साल की जिंदगी की आकांक्षा के साथ सक्रिय जीवन का संकल्प लेने का विधान बड़ा पुराना है। पूरी सृष्टि में मनुष्य अपनी कल्पना शक्ति और बुद्धि बल से सभी प्राणियों में उत्कृष्ट है। वह इस जीवन और जीवन के परिवेश को रचने की भी क्षमता रखता है। साहित्य,कला, स्थापत्य और ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उसकी विराट उपलब्धियों को देखकर कोई भी चकित हो जाता है। यह सब तभी सम्भव है जब जीवन हो और वह भी आरोग्यमय हो। परंतु लोग स्वास्थ्य पर तब तक ध्यान नहीं देते जब तक कोई कठिनाई न आ जाए। दूसरों से तुलना करने और अपनी बेलगाम होती जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं के बदौलत तरह-तरह की चिंताए कष्ट, तनाव और अवसाद से ग्रस्त होना आज आम बात हो गई है। मुश्किलों के आगे घुटने टेक कई लोग तो जीवन से ही निराश हो बैठते हैं । कुछ लोग इतने निराश हो जाते हैं कि उन्हें कुछ सूझता ...