Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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भारतीय वेद और विश्व शांति की प्रार्थना

भारतीय वेद और विश्व शांति की प्रार्थना

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत अव्याख्येय है। राष्ट्र रूप में भारत की व्याख्या कठिन है। यह सामान्य राष्ट्र राज्य नहीं है। भूमि का साधारण खण्ड नहीं है। सामान्य इतिहास या भूगोल नहीं है। इस धरती के लोग सदियों से व्यक्तिगत हित की तुलना में विश्व लोकमंगल की आराधना में संलग्न रहे हैं। भारत की अनुभूति संसार में अद्वितीय है। यह एक प्रेमपूर्ण गीत है। हम सब के अंतस का छंदस है भारत। भारत और भारतीय संस्कृति विश्व के विद्वानों के लिए शोध का विषय रहे हैं। ऋग्वेद में एक सुंदर मंत्र में भारत बोध की झांकी है, 'हे सोम देव जहां सदा नीरा नदियां बहती हैं। प्रचुर अन्न होता है। कृषि धन धान्य देती है। जहां मुद, मोद, प्रमोद विस्तृत हैं। हम उसी भूखंड में आनंदित रहना चाहते हैं।' संविधान की उद्देशिका 'हम भारत के लोग' वाक्य से प्रारम्भ होती है। उद्देशिका के 4 शब्द महत्वपूर्ण है। हम भारत के लोगों की राष्ट्रीय संरचना का आध...
विश्व शांतिदूत मोदी की अमेरिका यात्रा के नए संदेश

विश्व शांतिदूत मोदी की अमेरिका यात्रा के नए संदेश

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- कैलाश विजयवर्गीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी संसद को दूसरी बार संबोधित करते हुए विश्व के सामने देश की सशक्त तस्वीर ही प्रस्तुत नहीं की, बल्कि यह भी बता दिया विश्व के समक्ष चुनौतियों का भारत अमेरिका के साथ मिलकर मुकाबला करने में सक्षम है। जल्दी ही विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला भारत अमेरिका से साझेदारी करके आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सक्षम होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका और सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की प्रगाढ़ मित्रता का उदाहरण देते हुए दुनिया में लोकतांत्रिक शक्तियों के भविष्य के लिए शुभ संकेत दिए हैं। उनका यह कहना कि भारत-अमेरिका की साझेदारी लोकतंत्र के भविष्य के लिए अच्छी है और बेहतर भविष्य और भविष्य के लिए बेहतर दुनिया के लिए यह अच्छी है। मोदीजी के इस विश्वास से तानाशाही से संकट झेल रहे देशों के नागरिकों को लोकतंत्र के उदय ...
सार्थक रही राष्ट्रपति की सर्बिया यात्रा

सार्थक रही राष्ट्रपति की सर्बिया यात्रा

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सर्बिया यात्रा सार्थक रही। इससे दोनों देशों के सम्बन्ध सुदृढ़ हुए। आपसी साझेदारी का विकास हुआ। इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू ने भारत के विकास और विश्व शांति के लिए उसके प्रयासों का प्रमुखता से उल्लेख किया। उनके इन विचारों की विश्व स्तर पर चर्चा हुई। इस प्रकार राष्ट्रपति की यात्रा द्विपक्षीय सम्बन्ध के साथ ही भारत के व्यापक हितों का संवर्धन करने वाली साबित हुई। सर्बिया की यात्रा करने वाली वह देश की पहली राष्ट्रपति हैं। सर्बिया उस यूगोस्लाविया का ही हिस्सा हुआ करता था, जिसके भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे। भारत और यूगोस्लाविया गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक हैं। 1990 में यूगोस्लाविया का विघटन हुआ। उससे कई देश बने। इसमें क्रोएशिया, सर्बिया, मोंटेनेग्रो, मैसेडोनिया, बोस्निया हर्ज़ेगोविना शामिल हैं। भारत के सर्बिया से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। साल...