विश्व धूम्रपान निषेध दिवस: तम्बाकू का ‘मजा’, मौत की ‘सजा’
- योगेश कुमार गोयल
दशकों से दुनिया में धूम्रपान के दुष्प्रभाव पर अध्ययन हो रहा है। धूम्रपान हर लिहाज से हानिकारक है, यह सभी का निचोड़ है। बावजूद इसके लोग सचेत नहीं हो रहे। किशोर तक इसकी गिरफ्त में हैं। स्थिति लगातार विस्फोटक हो रही है। हम हर वर्ष 31 मई को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर समारोह, गोष्ठी और विभिन्न कार्यक्रमों में धूम्रपान न करने की प्रतिज्ञा कर अगले दिन सब भूल जाते हैं।
दरअसल इसके लिए जनमानस के एक हिस्से में घर कर चुकी धारणाएं बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। सच बात तो यह है कि धूम्रपान करने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती आने, मानसिक तनाव कम होने और कब्ज की शिकायत दूर होने जैसी धारणाएं मनगढ़ंत हैं। वास्तविकता यही है कि धूम्रपान धीमा जहर है। इसके सेवन से प्राणघातक बीमारियां जन्म लेती हैं। ऐसे व्यक्ति धीमी गति से मृत्यु शैया तक पहुंच जाते हैं।
तमाम जद्दोजहद के बाद धूम्रपान के विज्ञापन तो ब...