नेता विपक्ष की कार्यशैली से देश परखेगा राहुल गांधी का सियासी ज्ञान
- डॉ. रमेश ठाकुर
सोलहवीं और 17वीं लोकसभा में नंबरों के लिहाज से कांग्रेस 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इतनी पिछड़ गई थी कि उसे नेता प्रतिपक्ष का पद भी नसीब नहीं हुआ। नेता विपक्ष पद की बात तो दूर, पार्टी का भविष्य और अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया था। कम नंबर संख्या के कारण ही संसद में नेता विपक्ष की सीट भी रिक्त रही। पर, कहते हैं कि सियासत में चमत्कार की संभावनाएं अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा रहती हैं। किसके सितारे कब बुलंद हो जाए और किसके अचानक बुझ जाएं? इसका दारोमदार जनता के मूड और विचारों पर निर्भर रहता है? 2024 के आम चुनाव में हुआ भी कमोबेश कुछ ऐसा ही। भाजपा 400 पार के नारे के साथ फिर से प्रचंड बहुमत में आने को पूरी तरह आश्वस्त थी, लेकिन जनता ने अस्वीकार कर दिया। मौका जरूर दिया, लेकिन आधा-अधूरा। हालांकि, कांग्रेस ने इस बार उम्मीद से कहीं बढ़कर प्रदर्शन कर खुद को लड़ाई में बरकरार रख...