Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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संघ के बिना भाजपा का कोई वजूद ही नहीं

संघ के बिना भाजपा का कोई वजूद ही नहीं

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- आर.के. सिन्हा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत मृदु स्वभाव वाले और मितभाषी हैं। वे किसी खास मुद्दे या अवसर पर ही अपनी बेबाक राय रखते हैं। लेकिन, जब भी वे कुछ कहते हैं तो उसे गौर से सारा देश सुनता और समझने की कोशिश करता है। उनके वक्तव्यों की पूरे देश में विभिन्न कोणों से व्याख्या होने लगती है। हाल ही में आए लोकसभा चुनाव के बाद डॉ. मोहन भागवत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं पर सांकेतिक और परोक्ष रूप से 'अहंकारी' होने के आरोप लगाकर राजनीतिक क्षेत्रों में, खासकर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच भूचाल सा ला दिया है। मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के नागपुर में संघ के कार्यक्रम में कहा कि "एक सच्चा सेवक काम करते समय मर्यादा बनाए रखता है। उसमें कोई अहंकार नहीं होता कि 'मैंने यह किया।' केवल ऐसा व्यक्ति ही सेवक कहलाने का अधिकारी है।'' आखिर वे अहंकार पर चर्चा करके क्या कहना चाहते हैं? ए...
राष्ट्रभाषा के बिना गूंगा है राष्ट्र

राष्ट्रभाषा के बिना गूंगा है राष्ट्र

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- योगेश कुमार गोयल हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिवर्ष 14 सितंबर का दिन ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ शुरू हो जाता है हिन्दी दिवस सप्ताह। प्रत्येक भारतीय के लिए अब यह गर्व की बात है कि दुनियाभर में हिन्दी को चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉ. फादर कामिल बुल्के ने संस्कृत को मां, हिन्दी को गृहिणी और अंग्रेजी को नौकरानी बताया था। आयरिश प्रशासक जॉन अब्राहम ग्रियर्सन को भारतीय संस्कृति और यहां के निवासियों के प्रति अगाध प्रेम था, जिन्होंने हिन्दी को संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि बताया था। दूसरी ओर हमारे ही देश में कुछ लोग कुतर्क देते हैं कि भारत सरकार योग को तो 177 देशों का समर्थन दिलाने में सफल हो गई लेकिन हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन भी नहीं जुटा सकी और इसे अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने में भी सफलता नहीं मिली। हालांकि इस प...
जेजे ईरानी के बिना भारत का स्टील सेक्टर

जेजे ईरानी के बिना भारत का स्टील सेक्टर

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- आर.के. सिन्हा जेजे ईरानी अरसा पहले टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर पद से मुक्त होने के बाद खबरों की दुनिया से कमोबेश गायब से रहे। पर हाल ही में निधन के बाद उन्हें जिस तरह याद किया जा रहा है, उससे साफ है कि वे असाधारण कॉरपोरेट हस्ती थे। 'स्टीलमैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर जेजे ईरानी को झारखंड, बिहार और स्टील की दुनिया से जुड़े हर शख्स का खास सम्मान मिलता रहा। पुणे में जन्मे जेजे ईरानी ने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जमशेदपुर में गुजारा। एक इंटरव्यू में अपनी इच्छा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा था कि जिस शहर में पूरी जिंदगी काम किया, आखिरी सांस भी उसी शहर में लेना चाहते हैं। ईश्वर ने उनकी यह इच्छा पूरी की। जेजे ईरानी में नेतृत्व के भरपूर गुण थे। उन्होंने भारत के कॉरपोरेट जगत में नवोन्मेष और उत्कृष्टता की संस्कृति को संस्थागत स्वरूप दिया। इस मसले पर विवाद नहीं हो सकता। वे अपने मैनेजरों को...