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चुनाव में ही कांग्रेस को क्यों याद आते हैं मंदिर

चुनाव में ही कांग्रेस को क्यों याद आते हैं मंदिर

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- मृत्युंजय दीक्षित भारतीय राजनीति में मुस्लिम तुष्टिकरण को चुनाव जीतने का मंत्र मन जाता रहा है किन्तु 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने और फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या पर मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दिए जाने के बाद स्थितियों में बड़ा बदलाव आया है। कुछ वर्ष पूर्व तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से नारा लगाया जाता था, “रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे” और विरोधी दल पलटवार करते हुए कहते थे, “रामलला हम आएंगें मंदिर वहीं बनाएंगें किंतु तारीख नहीं बताएंगे”। अब सब कुछ परिवर्तित हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ जाने के बाद अयोध्या नगरी में दिव्य-भव्य गगनचुम्बी राम मंदिर का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर अग्रसर है। रामलला के विराजमान होने की तिथि भी आ गई है। आगामी 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम अपने अस्थायी मंदिर से नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित...
‘नवाज’ क्यों बन रहे भारत के लिए ‘शरीफ’

‘नवाज’ क्यों बन रहे भारत के लिए ‘शरीफ’

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- डॉ. रमेश ठाकुर नवाज शरीफ वतन लौटकर भारत के लिए शराफत दिखा रहे हैं। कराची की रैली में उन्होंने अच्छे रिश्ते गढ़ने की वकालत की है। ये उनका हृदय परिवर्तन है या इसमें भी कोई खुराफात छुपी है। सवाल ये भी है कि आखिर नवाज भारत के लिए शरीफ क्यों बन रहे हैं। हालांकि, उनकी टिप्पणी पर अभी हमारी हुकूमत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। देने की जरूरत भी नहीं, जल्दबाजी करने की अभी आवश्यकता नहीं। पाकिस्तान राजनीतिक रूप से अपाहिज पड़ा हुआ है। दलदल की ऐसी गहरी खाई में समाया है जहां से निकालकर दोबारा अपने पैरों पर खड़ा करने की कुव्वत फिलहाल पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ में कतई नहीं है? तभी उन्होंने फौज और निर्वासित जीवन जीने वाले अपने बड़े भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मध्य एक गुप्त समझौता करवाया। गुप्त समझौते पर जैसे ही मुहर लगी नवाज की वतन वापसी का रास्ता साफ हुआ। वह करीब सवा चार वर्ष का राजनीतिक वनवास ...
क्यों जरूरी है बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देना

क्यों जरूरी है बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देना

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- आर.के. सिन्हा अभी कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसआई) ने एक बेहद जरूरी फैसला लिया। इसके तहत अब सीबीएसई स्कूलों को प्री-प्राइमरी से 12वीं कक्षा तक क्षेत्रीय व मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का विकल्प देगी। अब तक, राज्य बोर्ड स्कूलों के विपरीत, सीबीएसई स्कूलों में केवल अंग्रेजी और हिंदी माध्यम ही शिक्षा प्राप्त करने का विकल्प था। सीबीएसई ने अपने सभी संबंधित स्कूलों से कहा है कि जहां तक संभव हो सके यथाशीध्र तो पांचवीं कक्षा तक क्षेत्रीय भाषा में या फिर बच्चे की मातृभाषा में पढ़ाई के विकल्प उपलब्ध कराएं । बेशक, यह एक युगांतकारी फैसला है। हरेक बच्चे के पास यह विकल्प होना ही चाहिए कि वह अपनी मातृभाषा में स्कूली शिक्षा ग्रहण कर सके। हां, उसे विषय के रूप में कोई एक भाषा या एकाधिक भाषाएं पढ़ाई जा सकती हैं। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. बाबा साहेब आम...
क्यों कोई जैव विविधता को बचाए?

क्यों कोई जैव विविधता को बचाए?

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- डॉ. सुशील द्विवेदी हमारे पृथ्वी ग्रह पर जीवन संतुलन को बनाए रखने के लिए बायोडायवर्सिटी अर्थात जैव विविधता बहुत आवश्यक है। यह पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की आधारशिला है। दुनिया भर में रहने वाले लगभग आठ अरब लोग लगातार धरती की धरोहर का उपभोग कर रहे हैं। जब हम बायोडाइवर्सिटी की बात करते हैं तब हमारा इशारा, धरती पर मौजूद तमाम जीवों और जैवप्रणालियों की जीवविज्ञानी (बायोलॉजिकल) और आनुवंशिक (जेनेटिक) विविधता से होता है। जैव विविधता के अन्तर्गत जीवित जीवधारियों पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के अलावा फफूंद और मिट्टी में मिलने वाले सूक्ष्मजीवी बैक्टीरिया भी शामिल हैं। वे पूरी दुनिया की उन तमाम व्यापक इको प्रणालियों का हिस्सा हैं जो बर्फीले अंटार्कटिक, ट्रॉपिकल वर्षावनों, सहारा रेगिस्तान, मैंग्रोव वेटलैंड, मध्य यूरोप के पुराने बीच वनों और समुद्री और तटीय इलाकों की विविधता से भरा है। ये बायोडायवर्सिटी ज...
आखिर क्यों बरकरार रहा उप्र निकाय चुनाव में योगी मैजिक

आखिर क्यों बरकरार रहा उप्र निकाय चुनाव में योगी मैजिक

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- आर.के. सिन्हा आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हरेक विधनासभा और नगर निगम चुनाव पर सारे देश की निगाहें रहने वाली हैं। इस परिप्रेक्ष्य में कर्नाटक विधानसभा और उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव का नतीजा देखना होगा। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को निराशा हाथ लगी लेकिन उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव ने पार्टी को जश्न मनाने का पूरा मौका दिया है। अभी देश में सिर्फ और सिर्फ कर्नाटक चुनाव की ही चर्चा हो रही है । जबकि, उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में कर्नाटक में जितने मतदाताओं ने भाग लिया उससे कहीं ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया । अतः मैं तो आज उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव की ही चर्चा करूंगा । भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व जीत हासिल करते हुए सभी 17 नगर निगम में अपना परचम लहराया है। इसके अतिरिक्त सभी अन्य निकाय में भाजपा का प्रदर्शन अत्यंत ही प्रभावशाली रहा है । सपा, कांग...
नेमप्लेट से क्यों दूर है अबतक आधी दुनिया

नेमप्लेट से क्यों दूर है अबतक आधी दुनिया

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- आर.के. सिन्हा पिछली आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। महिलाओं को घर और घर से बाहर, उनके जायज हक देने को लेकर तमाम वादे किए गए और अनेक बातें भी हुईं। यह तो हर साल ही इस तारीख को होता है। इसमें कुछ भी नया नहीं है। यह सब आगे भी होता ही रहेगा। पर अफसोस कि घरों के बाहर लगी नेमप्लेट में मां, बेटी और बहू के लिए अबतक कोई जगह नहीं है। हालांकि अब घर बनाने के लिए आमतौर पर पति-पत्नी मिलकर ही मेहनत करते हैं और फिर होम लोन भी मिलकर ही लेने लगे हैं। कहने को भले ही कहा जाता रहे कि हर सफल इंसान के पीछे किसी महिला की प्रेरणा होती है। यह बात अपने आप में सौ फीसद सही भी है। इस बारे में कोई बहस या विवाद नहीं हो सकता। सफल इंसान को जीवन में सफलता दिलाने में मां, बहन, पत्नी वगैरह किसी न किसी मातृशक्ति का रोल रहता है। पर, उन्हें घरों के बाहर लगी नेमप्लेट में थोड़ी सी जगह देने के बारे में सोचने वाले ...
पाकिस्तान में हिंदू-भारत विरोधी नेता संकट में क्यों

पाकिस्तान में हिंदू-भारत विरोधी नेता संकट में क्यों

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- आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में आजकल एक अजीब तरह का इत्तेफाक देखने में आ रहा है। आटे की कमी और महंगाई की मार से त्रस्त और पस्त झेलते पाकिस्तान में इमरान खान के तीन करीबी नेताओं पर शरीफ सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। ये सभी घनघोर भारत तथा हिन्दू विरोधी बयानबाजी करने के कारण बदनाम रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के गृहमंत्री शेख राशिद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी जेल भी जा चुके हैं। इन दोनों पर सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न करने के आरोप हैं। कश्मीरी मूल के शेख राशिद रावलपिंडी के उसी गॉर्डन कॉलेज में पढ़े हैं जिसमें सशक्त अभिनेता बलराज साहनी और उनके अनुज तथा महान कथाकार भीष्म साहनी पढ़ते थे। शेख राशिद बेहद हल्के इंसान हैं। उनकी किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखकर उनके गटर छाप होने का अंदाजा लग जाता है। उनके तीन काम हैं। वे या तो शरीफ बंधुओं को कोस र...
रैगिंग का रोग, क्यों खामोश हैं लोग

रैगिंग का रोग, क्यों खामोश हैं लोग

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- योगेश कुमार गोयल देश में तमाम कड़े कानूनों और सरकारों की कठोर नीति के बावजूद शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर रोक न लग पाना चिंताजनक है। नोएडा के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में हुई रैगिंग की घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है। यहां बी-टेक अंतिम वर्ष के चार छात्रों ने प्रथम वर्ष के एक छात्र के साथ इस कदर मारपीट की कि उसके कंधे की हड्डियां टूट गईं। इसके बाद चारों आरोपित भूमिगत हैं। कुछ ही दिन पहले असम के सिलचर में राजकीय डेंटल कॉलेज के प्रथम वर्ष के कुछ छात्रों ने नेशनल एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर सीनियर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अच्छी बात यह है कि कॉलेज प्रशासन ने 14 सीनियर छात्रों को छात्रावास से निष्कासित कर दिया। डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी में भी रैगिंग करने पर 18 छात्रों को निष्कासित करने के साथ तीन हॉस्टल वार्डन को निलंबित किया जा चुका है। एम-कॉम प्रथम वर्ष के छात्र ने ह...
शादी में जाति और धर्म का बंधन क्यों?

शादी में जाति और धर्म का बंधन क्यों?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक महाराष्ट्र सरकार ने एक 13 सदस्यीय आयोग बना दिया है, जिसका काम यह देखना है कि देश में जितनी भी अंतरजातीय और अन्तर्धामिक शादियां होती हैं, उन पर कड़ी निगरानी रखी जाए। यदि उनके रिश्तेदारों या पति-पत्नी के बीच हिंसा या अनबन की शिकायतें आएं तो उन पर ध्यान दिया जाए। इस आयोग की अध्यक्षता भाजपा के महिला और बालविकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा करेंगे। इस आयोग का उद्देश्य यह बताया जा रहा है कि इस तरह की शादियों पर कड़ी निगरानी रखकर यह आयोग उनके विवादों को सुलझाने की कोशिश करेगा और औरतों के अधिकारों की रक्षा करेगा। यह आयोग उक्त प्रकार की शादियों की सारी जानकारियां और आंकड़े भी इकट्ठे करेगा। इस अपने ढंग के आयोग की स्थापना देश में पहली बार महाराष्ट्र सरकार ने की है, जो भाजपा और शिवसेना (नई) के गठबंधन से बनी है। इन दोनों पार्टियों ने लव जिहाद के खिलाफ जिहाद छेड़ रखा है। वास्तव में छल-कपट ...