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नक्सलियों की कमर तोड़ने में क्यों नहीं मिल रही पूरी सफलता

नक्सलियों की कमर तोड़ने में क्यों नहीं मिल रही पूरी सफलता

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- योगेश कुमार गोयल नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बड़ा हमला करते हुए आईईडी से निशाना बनाकर सुरक्षाबलों की गाड़ी को विस्फोट से उड़ा दिया। इस हमले में एक चालक सहित डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के 10 जवान शहीद हो गए। माना जा रहा है कि नक्सलियों की मुखबिरी के कारण ही नक्सली इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने में सफल हुए। हालांकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कह रहे हैं कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अंतिम दौर में चल रही है और नक्सलियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, सरकार योजनाबद्ध तरीके से नक्सलवाद को खत्म करेगी लेकिन हकीकत यही है कि इसी प्रकार के बयान हर नक्सली हमले के बाद सुनने को मिलते रहे हैं। वास्तविकता यही है कि नक्सल समस्या बहुत पुरानी है, जिस पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। सरकारें भले ही बदलती रही हों पर जमीनी हकीकत यही है कि नक्सली हमले नहीं रुके हैं। यदि छत्तीसगढ़ मे...
सबके लिए एक-जैसा कानून क्यों नहीं ?

सबके लिए एक-जैसा कानून क्यों नहीं ?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भाजपा कई वर्षों से लगातार वादा कर रही है कि वह सारे देश में सबके लिए निजी कानून एक-जैसा बनाएगी। वह समान नागरिक संहिता लागू करने की बात अपने चुनावी घोषणा पत्रों में बराबर करती रही है। निजी मामलों में समान कानून का अर्थ यही है कि शादी, तलाक, उत्तराधिकार, दहेज आदि के कानून सभी मजहबों, जातियों और क्षेत्रों में एक-जैसे हों। भारत की दिक्कत यह है कि हमारे यहां अलग-अलग मजहब में निजी-कानून अलग-अलग तो हैं ही, जातियों और क्षेत्रों में अलग-अलग से भी ज्यादा परस्पर विरोधी परंपराएं बनी हुई हैं। जैसे हिंदू कोड बिल के अनुसार हिंदुओं में एक पत्नी विवाह को कानूनी माना जाता है लेकिन शरीयत के मुताबिक एक से ज्यादा बीवियां रखने की छूट है। भारत के कुछ उत्तरी हिस्से में एक औरत के कई पति हो सकते थे। भारत के दक्षिणी प्रांतों में मामा-भानजी की शादी भी प्रचलित रही है। आदिवासी क्षेत्रों में बहु ...
मिलावटखोरों को फांसी क्यों नहीं?

मिलावटखोरों को फांसी क्यों नहीं?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक इनदिनों बड़ी खबरों में कई खबरें हैं। जैसे नफरती भाषणों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय की फटकार। आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की गुहार। इमरान खान के चुनाव लड़ने पर पांचवर्षीय प्रतिबंध आदि। लेकिन मेरा ध्यान चार खबरों ने सबसे ज्यादा खींचा। वे हैं- नकली प्लेटलेट, नकली जीरा, नकली घी और नकली तेल। दीपावली के मौके पर गरीब से गरीब आदमी भी खाने-पीने की चीजें दिल खोलकर खरीदना चाहता है लेकिन जो चीजें बाजार में उसे मिलती हैं, उनमें से कई नकली तो होती ही हैं, वे उसके लिए प्राणलेवा भी सिद्ध हो जाती हैं। प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत इसलिए हो गई कि डाॅक्टरों ने उसकी नसों में प्लाज्मा चढ़ाने की बजाय मौसम्बी का रस चढ़ा दिया। इस नकली प्लाज्मा की कीमत 3 हजार से 5 हजार रुपये है। नकली प्लाज्मा ने मरीज की जान ले ली। प्रयागराज की पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार कर ...