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निजीकरण के इस युग में आज भी सरकारी बैंक क्यों जरूरी ?

निजीकरण के इस युग में आज भी सरकारी बैंक क्यों जरूरी ?

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- अश्वनी राणा निजीकरण के इस युग में आज भी सरकारी बैंकों का अस्तित्व प्रासंगिक बना हुआ है। 19 जुलाई, 1969 को तत्कालीन सरकार ने देश के 14 प्रमुख बैंकों का पहली बार राष्ट्रीयकरण किया था। साल 1969 के बाद 1980 में पुनः 6 बैंक राष्ट्रीयकृत हुए। 19 जुलाई 2024 को बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 55 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आर्थिक तौर पर सरकार को लग रहा था कि प्राइवेट बैंक देश के सामाजिक उत्थान की प्रक्रिया में सहायक नहीं हो रहे थे। उस समय देश के 14 बड़े बैंकों के पास देश की लगभग 80 फीसदी पूंजी थी। इनमें जमा पैसा उन्हीं सेक्टरों में निवेश किया जा रहा था, जहां लाभ के ज्यादा अवसर थे। वहीं सरकार की मंशा कृषि, लघु उद्योग और निर्यात में निवेश करने की थी। दूसरी तरफ एक रिपोर्ट के मुताबिक 1947 से लेकर 1955 तक 360 छोटे-मोटे बैंक डूब गए थे जिनमें लोगों का जमा करोड़ों रुपया डूब गया था। 1969 में राष्ट्रीयकरण के बाद से ...
आखिर क्यों जरूरी है नागरिकता संशोधन कानून?

आखिर क्यों जरूरी है नागरिकता संशोधन कानून?

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- मुनीष त्रिपाठी मोदी सरकार ने बहुप्रतिक्षित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है । इसी के साथ देश में अब सीएए लागू हो गया है । हम यहां यह समझने की कोशिश करेंगे आखिर यह क्यों जरूरी है । साल 2020 में देशभर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे । इन प्रदर्शनों में कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें कानून की कम या गलत जानकारी थी । इसलिए आइए समझते हैं कि सीएए लागू होने से क्या बदलेगा । आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है । इसी के साथ देश में अब सीएए लागू हो गया है । सीएए के अमल में आ जाने के बाद अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है । साल 2020 में देशभर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे, इसलिए आइए समझते हैं कि सीएए लागू होने से क्या बदलेगा ? ...