Monday, November 25"खबर जो असर करे"

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कौन नहीं देता अपना वोट

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- आर.के. सिन्हा अब चुनाव आयोग को यह गंभीरता से विचार करना होगा कि कैसे सभी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने को लेकर गंभीर या बाध्य हों। वे मतदान करना अपना दायित्व समझें। हाल ही में दिल्ली नगर निगम चुनाव संपन्न हो गए। चुनाव प्रचार से लेकर चुनाव नतीजे सही से आ गये। कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई। पर निराशा इस कारण से अवश्य हुई कि इस बार दिल्ली में मतदान 47 फीसद के आसपास ही रहा। मतलब आधे से अधिक मतदाताओं ने अपना वोट डालने की आवश्यकता ही नहीं समझी। मतदान भी रविवार के दिन ही हुआ था। इसलिए उम्मीद तो यह थी कि दिल्ली वाले मतदान के लिए भारी संख्या में निकलेंगे। उस दिन मौसम भी खुशगवार था। फिर भी मतदान बेहद खराब रहा। बड़ी तादाद में मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के हक में वोट देने नहीं आए। वे जिन नेताओं और सियासी दलों को नापसंद करते हैं, उन्हें चाहे तो खारिज कर सकते थे। उन्होंने ये भी नहीं किया। चूंकि ...
करीब आते कैथोलिक-प्रोटेस्टेंट, कौन लेगा सीख

करीब आते कैथोलिक-प्रोटेस्टेंट, कौन लेगा सीख

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- आर.के. सिन्हा उत्तर भारत के ईसाई समाज के लिए पिछली 2 नवंबर की तारीख विशेष रही। उस दिन जब सारी दुनिया के ईसाई 'ऑल सोल्स डे' मना रहे थे, तब हरियाणा के शहर रोहतक में कैथोलिक और प्रोटेस्टेट पादरी समुदाय के लोग मिलजुलकर इस त्योहार पर एक साथ बैठे। इन्होंने तय किया कि वे देश और अपने समाज के हित के लिये मिलकर प्रयास करते रहेंगे। ईसाई इस दिन कब्रिस्तानों में जाते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 'ऑल सोल्स डे' हिन्दुओं के पितृ पक्ष के श्राद्ध से मिलता-जुलता है। दरअसल ईसाई धर्म के दो मुख्य संप्रदायों- कैथोलिक तथा प्रोटेस्टेंट में कुछ बिन्दुओं पर मतभेद रहे हैं। कैथोलिक मदर मैरी की पूजा में भी विश्वास करते हैं। प्रोटेस्टेंट उन पर विश्वास नहीं करते हैं और उनके लिए मैरी केवल यीशु की भौतिक मां है। हां, दोनों संप्रदायों के लिए ईसा मसीह तथा बाइबिल परम आदरणीय हैं। कैथोलिक और प्रोटेस्ट...
कौन होगा अमिताभ बच्चन से बड़ा हिन्दी सेवी

कौन होगा अमिताभ बच्चन से बड़ा हिन्दी सेवी

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- आर.के. सिन्हा अमिताभ बच्चन आज के दिन सारे देश को जोड़ते हैं। उनकी लोकप्रियता धर्म,जाति,भाषा की दीवारों को लांघ चुकी है। सच मानें तो वे कालजयी हो चुके हैं। उनकी अदाकारी अत्यंत ही स्वाभाविक है। उनकी शख्सियत बेहद ही गरिमामयी है। उनकी निरंतर काम करने की जिजीविषा अकल्पनीय है। वे लगातार आधी सदी से फिल्म और टेलीविजन के पर्दे पर सक्रिय हैं। उन्होंने अपने करोड़ों चाहने वालों को आनंद के न जाने कितने अविस्मरणीय पल दिए हैं। वे 11 अक्टूबर को अपने सक्रिय जीवन के 80 सालों का सफर पूरा कर रहे हैं। अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर उनकी फिल्मों का उत्सव कुछ दिन पहले से ही शुरू हो गया था। इसमें बिग बी की सुपरहिट 11 फिल्मों को देशभर के 17 शहरों में 22 स्क्रीन पर दिखाया गया। उनकी बेहद खास फिल्में जैसे दीवार, जंजीर, डॉन, कालिया वगैरह दिखाई गईं। पर यह कोई बड़ी खबर नहीं है। खबर यह है कि इन्हें देखने के लिए दर्शक फिर ...
गंभीर चिंता का कारण बनता आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ

गंभीर चिंता का कारण बनता आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ

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- योगेश कुमार गोयल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनिया में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है यानी प्रतिवर्ष दुनियाभर में करीब आठ लाख लोग आत्महत्या के जरिये अपनी जीवनलीला खत्म कर डालते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में आत्महत्या के मामले 15 से 29 वर्ष के लोगों में होते हैं। जबकि आत्महत्या का प्रयास करने वालों का आंकड़ा इससे बहुत ज्यादा है। लोगों में अवसाद निरन्तर बढ़ रहा है, जिसके चलते ऐसे कुछ व्यक्ति आत्महत्या जैसा हृदयविदारक कदम उठा बैठते हैं। लोगों में जीवन से निराश होकर आत्महत्या की बढ़ती दुष्प्रवृत्ति गंभीर चिंता का सबब बन रही है। कोरोना काल में लोगों में हताशा और निराशा ज्यादा बढ़ी है, जिससे आत्महत्याओं का प्रतिशत भी लगातार बढ़ रहा है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के लोग करते हैं और इसमें बड़ी स...

संघ और मुसलमानों में संवाद से दुखी होने वाले कौन

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- आर.के. सिन्हा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत आजकल मुस्लिम बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं से लगातार मिल रहे हैं। आरएसएस प्रमुख देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र को मजबूत करने के लिए चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने पहले दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और कारोबारी सईद शेरवानी जैसे प्रबुद्ध मुसलमानों से मुलाकात की। ये सब मुस्लिम समाज के असरदार नाम हैं। शाहिद सिद्दीकी उर्दू अखबार नई दुनिया के संपादक भी हैं। डॉ. मोहन भागवत ने इनके बाद देश के हजारों इमामों की नुमाइंदगी करने वाले संगठन ‘अखिल भारतीय इमाम संगठन’ के प्रमुख मौलाना उमेर अहमद इलियासी से मुलाकात की। इन मुलाकातों के नतीजे सकारात्मक आए हैं। इस पहल का स्वागत भी हो रहा है। ...

स्मृति शेष: अलविदा राजू श्रीवास्तव, अब सबको कौन हंसायेगा

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- आर.के. सिन्हा राजू श्रीवास्तव की सेहत को लेकर बीच-बीच में खबरें आने लगीं थीं कि वे कुछ बेहतर हो रहे हैं। उनके स्वास्थ्य में कुछ सुधार हो रहा है। पिछले सप्ताह जब मैं उन्हें देखने एम्स गया था। जब उनकी श्रीमती जी ने आवाज़ लगाई कि `आर. के. भाई साहब आये हैं तो उन्होंने आखें खोलने की असफल चेष्टा भी की थी।' एक उम्मीद बंधने लगी थी कि वे फिर से ठीक होकर देश को अपने चुटीले व्यंग्यों से हंसाने लगेंगे। पर अफसोस कि राजू श्रीवास्तव नहीं रहे। एम्स जैसे प्रख्यात अस्पताल के डॉक्टर भी उन्हें बचा न सके। कानपुर से मुंबई जाकर अपने फिल्मी करियर को बनाने-संवारने गए राजू श्रीवास्तव ने सफलता को पाने से पहले बहुत पापड़ बेले थे। राजू श्रीवास्तव ने स्टैंडअप कॉमेडियन के रूप में अपनी साफ-सुथरी कमेडी से करोड़ों लोगों को आनंद के पल दिये हैं। उनके काम में अश्लीलता नहीं थी। वे बेहद गंभीर किस्म के इंसान थे। साफ है कि कॉम...

याकूब मेमनः हत्यारे को हीरो बनाने वाले कौन?

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- आर.के. सिन्हा यह सिर्फ अपने भारत में ही संभव है कि मुंबई बम धमाकों के साजिशकर्ता याकूब मेमन को नायक बनाने की चेष्टा की जाती है। उसे सुप्रीम कोर्ट से मौत की सजा होती है, तो उसे बचाने के लिए देश के बहुत सारे स्वयंभू उदारवादी-सेक्युलरवादी रातों-रात सामने आ जाते हैं। उसकी शव यात्रा में हजारों लोग शामिल भी होते हैं। फिर उसे फांसी हो जाती है। तब उसकी कब्र को सजाया जाता है। उसका इस तरह से रखरखाव होता है कि मानो वह कोई महापुरुष हो। मुंबई में याकूब मेमन की कब्र के 'सौंदर्यकरण' करने के ठोस सुबूत मिल रहे हैं और उसे एक इबादत गाह में बदलने की कोशिश की जा रही थी। जब इस तरह के आरोपों की सच्चाई सामने आई तो मुंबई पुलिस ने आतंकवादी की कब्र के चारों ओर लगाई गई 'एलईडी लाइट' को हटाया। याकूब मेमन को 2015 में नागपुर जेल में फांसी दी गई थी। उसे दक्षिण मुंबई के बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया गया था। यह पता लगाया जा...

भ्रष्टाचार के भवन को कौन गिराएगा ?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुपरटेक द्वारा निर्मित नोएडा के दो संयुक्त टावरों का गिराया जाना अपने आप में ऐतिहासिक घटना है। पहले भी अदालत के आदेशों पर कई इमारतें भारत के विभिन्न प्रांतों में गिराई गई हैं लेकिन जो इमारतें कुतुब मीनार से भी ऊंची हों और जिनमें 7000 लोग रह सकते हों, उनको अदालत के आदेश पर गिराया जाना सारे भारत के भ्रष्टाचारियों के लिए एक कड़वा सबक है। ऐसी गैर-कानूनी इमारतें सैकड़ों-हजारों की संख्या में सारे भारत में खड़ी कर दी गई हैं। नेताओं और अफसरों को रिश्वतों के दम पर ऐसी गैर-कानूनी इमारतें खड़ी करके मध्यमवर्गीय ग्राहकों को अपने जाल में फंसा लिया जाता है। वे अपना पेट काटकर किश्तें भरते हैं, बैंकों से उधार लेकर प्रारंभिक राशि जमा करवाते हैं और बाद में उन्हें बताया जाता है कि जो फ्लैट उनके नाम किया गया है, अभी उसके तैयार होने में काफी वक्त लगेगा। लोगों को निश्चित अवधि के दस-दस साल बाद ...