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देश में क्या खूंखार डॉग्स को पालने में लगेगी रोक?

देश में क्या खूंखार डॉग्स को पालने में लगेगी रोक?

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- योगेश कुमार सोनी दिल्ली हाई कोर्ट डॉग बाइट और अटैक (कुत्तों के काटने और हमले) की घटनाओं पर सख्त हुआ है। वह अक्टूबर में खतरनाक कुत्तों को रखने के मुद्दे पर अहम आदेश दे चुका है। हाई कोर्ट ने पिटबुल, टेरियर, अमेरिकन बुलडॉग और रॉटविलर जैसे खतरनाक नस्ल के कुत्तों को रखने के लाइसेंस पर प्रतिबंध लगाने और रद्द करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को तीन माह के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा। अदालत ने याचिकाकर्ता बैरिस्टर लॉ फर्म के प्रतिवेदन पर जल्द से जल्द विचार करने को कहा है। दरअसल देश में कुत्तों के काटने और हमला करने से कई लोगों की जान जा चुकी है। चिंता की बात यह है कि कुछ लोग तो बिना लाइसेंस के ही खतरनाक नस्ल के कुत्तों को पाल लेते हैं हैं। याचिका में कहा गया था कि ऐसे नस्ल के कुत्तों ने अपने मालिकों सहित अन्य लोगों पर भी हमला किया है। इस लॉ फर्म ने अदालत का ध्यान दिलाया कि ब्रिटेन के खतरनाक ...
संसद में फैलाए गए पीले धुएं का काला सच क्या है

संसद में फैलाए गए पीले धुएं का काला सच क्या है

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- डॉ. रमेश ठाकुर शीतकालीन सत्र के 10वें दिन भारतीय संसद के अंदर शायद कुछ असामान्य होना तय था। 22 बरस पहले आतंकियों के दिए जख़्म प्रत्येक 13 दिसंबर को हरे हो जाते हैं। कल गनीमत ये समझें कि यह घटना ‘पीले धुएं’ तक सीमित रही। सरकार इस घटना को हल्के में कतई न ले। साजिशकर्ताओं की बुने एक-एक जालों की पहचान की जानी चाहिए। इससे जुड़े हर सवाल का जवाब तलाशना होगा। हमें यह पक्के तौर पर जानना होगा कि उनका मकसद सिर्फ दहशत फैलाना था या कुछ और। चाक-चौबंद सुरक्षा-व्यवस्था में कहां चूक हुई, इसकी सख्त समीक्षा की जरूरत है। बहरहाल, हाल ही में बनकर तैयार हुई संसद अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीकों से लैस बतायी जाती है। लेकिन बुधवार को जिस अंदाज में घटना हुई, उससे साफ है कि साजिश के तार बहुत लंबे थे। इस साजिश के आरोपी सामान्य हैं या असामान्य प्रवृत्ति के, ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। पर, लोग अंदेशा ऐसा भी लग...
सबसे बड़ा सवाल, एआई क्या बला… जिससे गैरी कास्परोव खा चुके हैं मात

सबसे बड़ा सवाल, एआई क्या बला… जिससे गैरी कास्परोव खा चुके हैं मात

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- मीनाक्षी दीक्षित आजकल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एआई का उपयोग किये जाने की चर्चा हो रही है। इसलिए स्वाभाविक रूप से हम सभी के मन में प्रश्न उठता है कि ये एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धि वास्तव में है क्या और बुद्धि कृत्रिम कैसे हो सकती है? हिंदी के कृत्रिम शब्द का अर्थ है बनावटी यानी जो मूल नहीं है नकल है। यही अर्थ आंग्ल भाषा के शब्द आर्टिफिशियल का भी है। अतः स्पष्ट है कि कृत्रिम रूप से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता ही कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, जिसे संक्षेप में एआई कहते हैं। एआई के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिनके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरम्भ 1950 के दशक में हुआ था। इसका जनक जॉन मैकार्थी को माना जाता है। उनके अनुसार एआ...
ओवैसी साहब, यूसीसी के नाम पर देश में ‘हिंदू सिविल कोड’ भी आ जाए तो क्या बुराई है?

ओवैसी साहब, यूसीसी के नाम पर देश में ‘हिंदू सिविल कोड’ भी आ जाए तो क्या बुराई है?

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और इनके जैसे अनेकों ने समान नागरिकता संहिता (यूसीसी) को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर इस बार कुछ गहरा निशाना साधा है। वे कह रहे हैं कि यूसीसी के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी 'हिंदू सिविल कोड' लाना चाहते हैं, जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। एआईएमआईएम के इस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी को यह कहकर भी घेरने का प्रयास किया है, मेरे देश के प्रधानमंत्री को कोई जाकर समझाए कि समानता और अनेकता अलग-अलग चीज है। ''एक घर में दो कानून कैसे चलेंगे? संविधान में समवर्ती सूची क्या है... संघीय सूची क्या है... राज्य सूची क्या है... प्रधानमंत्री आप देख लेते तो मालूम होता।'' ओवैसी साहब का आरोप है कि ''देश अब तक एकता और विविधता के नाम पर मजबूत रहा, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को 'दो मिनट के नूडल्स' की तरह ...

कोश्यारी की गलती क्या है?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के एक बयान को लेकर महाराष्ट्र के नेता लोग कैसा धमाल मचा रहे हैं? कोश्यारी ने मारवाड़ियों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि मारवाड़ी और गुजराती व्यापारियों को हटा दिया जाए तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी नहीं रह पाएगी। कोश्यारी के इस बयान में गलत क्या है? उन्होंने जो सर्वमान्य तथ्य है, उसे बस कहा भर है। उन्होंने महाराष्ट्र के मराठों और दक्षिण भारतीयों के बारे में कोई ऐसी बात नहीं कही, जो अपमानजनक या आपत्तिजनक है। उन्होंने मुंबई के मारवाड़ी और गुजराती सेठों की पीठ ठोककर महाराष्ट्र का भला ही किया है। सेठों को यह नहीं लगेगा कि वे महाराष्ट्र पर कोई बोझा हैं। कोश्यारी के बयान से वे थोड़े और उत्साहित हो जाएंगे। जहां तक मराठीभाषी लोगों का सवाल है, उन्होंने ऐसा एक शब्द भी नहीं बोला, जिससे उनका अपमान हो या अवमूल्यन हो। जब पक्ष और ...