Monday, November 25"खबर जो असर करे"

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`मैं’ से `हम’ की अंतर्यात्रा

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- हृदय नारायण दीक्षित `मैं' से `हम' की अंतर्यात्रा आनंददायी है। `मैं' होना एकाकी है। एकाकी में उदासी है और विषाद है।`हम' सामूहिकता हैं और प्रसाद हैं । `मैं' होना दुखदायी है। ‘हम‘ होना विश्व का अंग होना है। ‘मैं‘ होना उल्लासहीनता है। ‘हम‘ होना उल्लासपूर्ण सांस्कृतिक अनुभूति है। ‘मैं‘ होना सिकुड़ना है और ‘हम‘ होना विस्तीर्णता है। आदिम काल में ‘मैं‘ भयभीत था। वह ‘मैं‘ से ‘हम‘ हुआ। सामूहिक हुआ। ‘हम‘ सामूहिकता है। फिर सामूहिक जीवन सामाजिक हुआ, सांस्कृतिक हुआ। मानव जाति में संवेदनशीलता बढ़ी। लोकजीवन व्यवस्थित हुआ। सोच विचार बढ़ा। तर्क प्रतितर्क हुए। वाद विवाद संवाद बढ़ा। दर्शन का विकास हुआ। जीवन नियमबद्ध हुआ। इसी का नाम धर्म हुआ। आधुनिक हिंदुत्व इसी परंपरा का अमृत प्रसाद है। मैं हूँ। यह हमारी अस्मिता है। मैं समुद्र की लहरों में उठती विलीन होती बूँद हूँ। बूँद इकाई है। इकाई लघुता है। लघुतम है। समुद्...

हम मनुष्यों की आत्मा व शरीर की आयु कितनी है?

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– मनमोहन कुमार आर्य हम विगत अनेक वर्षों से इस संसार में रह रहे हैं। सभी मनुष्यों की अपनी–अपनी जन्म तिथी है। यह जन्म तिथि किसकी है? क्या यह हमारी आत्मा की जन्म तिथि है या हमारे शरीर की है? वस्तुतः यह हमारे शरीर की जन्म तिथि है। आत्मा की जन्म तिथि तो कोई भी नहीं जानता? यह सिद्धान्त है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु होना निश्चित है। हम देखते हैं कि हमसे पूर्व जो मनुष्य उत्पन्न हुए थे, हमनें उन्हें अपने जीवन काल में मरते हुए देखा है। जो बचे हुए हैं उनकी भी एक दिन मृत्यु होना निश्चित है। जन्म व मृत्यु के ही रहस्य को सभी जानते व मानते हैं। जो हमसे आयु में छोटे हैं वह भी आने वाले समय में आगे–पीछे मरेंगे। यह शाश्वत् सिद्धान्त है। ‘जातस्य हि ध्रुवो मृत्यु ध्रुवं जन्म मृतस्य च’ यह गीता का वचन है जिसमें कहा गया है कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु होनी निश्चित है और जिसकी मृत्यु होती है उसका जन्म ...

पंचायती राज की मूलभावना और हम

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- कुलभूषण उपमन्यु लंबे इंतजार के बाद पंचायती राज ने नाममात्र की स्थानीय स्वशासन की इकाई से एक संवैधानिक वास्तविक शक्ति संपन्न स्वशासन की इकाई होने तक का सफर तय किया है। शुरू में पंचायती राज कानूनों में यह लिखा रहता था कि पंचायतें, राज्य सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करेंगी। पंचायतें, राज्य सरकारों के रहम पर निर्भर थीं। अपनी इच्छा से पंचायतों का चुनाव होता था। कोई निश्चित अवधि नहीं थी। बजट का भी निश्चित प्रावधान नहीं था। हालांकि महात्मा गांधी पंचायतों को शासन की रीढ़ बनाना चाहते थे, किन्तु संविधान में पंचायती राज को राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों में स्थान देकर भविष्य में स्थापित करने के संकल्प के रूप में स्थापित किया गया। 73 वें संविधान संशोधन के बाद पंचायतों को संवैधानिक दर्जा मिला। हर पांच साल में चुनाव होने लगे। राज्य वित्तायोग के माध्यम से निश्चित बजट मिलने लगा। पंचायत की विकास यो...
हम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने की पूरी कोशिश करेंगे : हरमनप्रीत सिंह

हम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने की पूरी कोशिश करेंगे : हरमनप्रीत सिंह

खेल
बेंगलुरु। भारतीय हॉकी टीम (Indian hockey team) के उप-कप्तान, हरमनप्रीत सिंह (Vice-Captain, Harmanpreet Singh) ने कहा है कि राष्ट्रीय पक्ष राष्ट्रमंडल खेल 2022 (National side Commonwealth Games 2022) में स्वर्ण पदक जीतने की पूरी कोशिश करेगा। भारतीय टीम की राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए तैयारी जोरों से चल रही है। हरमनप्रीत ने कहा, "हमारी टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है, हमने एफआईएच हॉकी प्रो लीग में भी अच्छा खेला है और इसलिए समूह के भीतर आत्मविश्वास अधिक है। हम मैच जीतते रहेंगे। हम निश्चित रूप से राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे।" राष्ट्रमंडल खेलों 2022 के लिए टीम की तैयारियों के बारे में बोलते हुए, हरमनप्रीत ने कहा, "राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए हमारी तैयारी बहुत अच्छी तरह से चल रही है। हम अपने प्रशिक्षण सत्रों के दौरान अपने खेल के विशिष्ट पहलुओं प...