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आजादी की शताब्दी तक भारत होगा आत्म-निर्भर और विश्व गुरु : राष्ट्रपति मुर्मू

आजादी की शताब्दी तक भारत होगा आत्म-निर्भर और विश्व गुरु : राष्ट्रपति मुर्मू

देश, मध्य प्रदेश
- 27 प्रवासी भारतीयों को प्रवासी भारतीय सम्मान से किया सम्मानित इंदौर (Indore)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कहा कि आने वाले 25 वर्ष भारत (India) के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत निरंतर विश्व गुरु बनने की महत्वाकांक्षी यात्रा (Ambitious journey to become Vishwa Guru) पर है। वर्ष 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी (centenary of independence) मना रहा होगा, तब तक हमारा देश आत्म-निर्भर और विश्व गुरु बन चुका होगा। भारत की विकास यात्रा में पूरी दुनिया के कोने-कोने में बसे प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत का संकल्प है कि विश्व में सभी का समान और न्यायोचित विकास हो। हमारा दर्शन वसुधैव कुटुंबकम का है। सारा विश्व हमारे लिए एक परिवार है। प्रवासी भारतीय, भारत के विकास के विश्वसनीय भागीदार है। हम आपको पूरी तरह भागीदार बनाना चाहते हैं।...
विश्व गुरु बनने की राह पर भारत का सशक्त कदम

विश्व गुरु बनने की राह पर भारत का सशक्त कदम

अवर्गीकृत
- डॉ. अनिल कुमार निगम जी-20 का नेतृत्व मिलने के साथ ही भारत ने विश्व को नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में एक और सशक्त कदम बढ़ा दिया है। समृद्ध ज्ञान परंपरा और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के पास विश्व गुरु के रूप में खुद को साबित और स्थापित करने का एक स्वर्णिम अवसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरीके से घोषणा की है कि 50 से अधिक शहरों में 200 से ज्यादा आयोजन किए जाएंगे, उससे यह आभास हो रहा है कि वो जी-20 में भारत की भूमिका को लेकर बेहद सजग और सतर्क हैं। भारत में अगले वर्ष 9 और 10 सितंबर को जी-20 सम्मेलन आयोजित होगा। पहली दिसंबर से इसकी अध्यक्षता की जिम्मेदारी भारत को मिल चुकी है। ध्यातत्व है कि विश्व की आबादी का छठा हिस्सा भारत में रहता है और यहां भाषाओं, धर्मों,रीति-रिवाज और विश्वास की विशाल विविधता है। जी-20 एक वैश्विक आर्थिक सहयोग का बड़ा एवं प्रभावशाली संगठन है। यह व...
जी-20 : भारत क्यों न बने विश्व गुरु ?

जी-20 : भारत क्यों न बने विश्व गुरु ?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक 01 दिसंबर से भारत जी-20 (बीस देशों के समूह) का अध्यक्ष बन गया है। सुरक्षा परिषद का भी वह इस माह के लिए अध्यक्ष है। भारतीय विदेश नीति के लिए यह बहुत सम्मान की बात है, लेकिन यह बड़ी चुनौती भी है। सुरक्षा परिषद आजकल पिछले कई माह से यूक्रेन के सवाल पर आपस में बंटी हुई है। उसकी बैठकों में शीतयुद्ध जैसा गर्मागर्म माहौल दिखाई पड़ता है। लगभग सभी प्रस्ताव आजकल ‘वीटो’ के शिकार हो जाते हैं, खास तौर पर यूक्रेन के सवाल पर। यूक्रेन का सवाल इस बार जी-20 की बाली में हुई बैठक पर छाया रहा। एक तरफ अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्र थे और दूसरी तरफ रूस और चीन। उनके नेताओं ने एक-दूसरे पर प्रहार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिर भी एक सर्वसम्मत घोषणा पत्र बाली सम्मेलन के बाद जारी हो सका। इस सफलता का श्रेय खुले तौर पर भारत को नहीं मिला लेकिन जी-20 ने भारत का रास्ता ही अपनाया। भारत तटस्थ रहा। न तो वह ...
विकसित भारत का प्रण और प्रधानमंत्री

विकसित भारत का प्रण और प्रधानमंत्री

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारत कभी विश्व गुरु था। ब्रिटिश काल तक विश्व व्यापार में अधिकांश हिस्सा भारत का हुआ करता था। प्राचीन भारत में ज्ञान-विज्ञान और शिक्षण संस्थानों के अनगिनत केंद्र थे। दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता संस्कृति भारत की है। पिछले आठ वर्षों में देश का नेतृत्व राष्ट्रीय गौरव की इसी भावना के अनुरूप कार्य कर रहा है। वह तत्व पुनर्जीवित हो रहे हैं, जिन्होंने भारत को विश्व गुरु पद पर विभूषित किया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में आज भी विकसित बनने की पूरी क्षमता है। देश के वर्तमान नेतृत्व ने इस क्षमता को पहचाना है। इसी प्रक्रिया में ही बाधक तत्वों की पहचान हुई है। सेक्युलर राजनीति के नाम पर देश को आत्म गौरव से विहीन बनाया गया। परिवार आधारित पार्टियों को भी ऐसी ही राजनीति पसन्द थी। लेकिन अब देश में राष्ट्रीय गौरव का संचार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले क...