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जीवन में रामत्व

जीवन में रामत्व

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- ऋचा सिंह श्रीराम को सनातन धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है। लोग उनको भगवान और आराध्य मान कर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन जब हम राम के सम्पूर्ण जीवन का अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि राम केवल पूजा के विषय नहीं हैं, वह अनुकरणीय हैं हर स्थिति काल में जीवन को दिशा प्रदान करने वाले प्रेरणा पुंज हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राम ने स्वयं को एक राजा और भगवान के अवतार के रूप में नहीं अपितु जननायक के रूप में स्थापित किया। हम उनके संपूर्ण जीवन में देखते हैं कि कैसे उन्होंने कठिन स्थितियों में भी मर्यादा के नूतन आयाम स्थापित किए। राजकुल में जन्म लेने के बाद भी राम ने अपना जीवन राजसी वैभव में नहीं बिताया। उनका बाल्यकाल आश्रम में व्यतीत हुआ, गुरुकुल में वह राजकुमारों की भांति नहीं अपितु सामान्य बालकों की भांति अपने और आश्रम के सारे कार्य करते थे। जब वह युवा हुए और राज्याभिषेक का समय आया तो उन्हें पिता...
सीय-राम-मय सब जग जानी

सीय-राम-मय सब जग जानी

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- गिरीश्वर मिश्र श्रीराम विष्णु के अवतार हैं। सृष्टि के कथानक में भगवान विष्णु के अवतार लेने के कारणों में भक्तों के मन में आए विकारों को दूर करना, लोक में भक्ति का संचार करना, जन-जन के कष्टों का निवारण और भक्तों के लिए भगवान की प्रीति पा सकने की इच्छा पूरा करना प्रमुख हैं। सांसारिक जीवन में मद, काम, क्रोध और मोह आदि से अनेक तरह के कष्ट होते हैं और उदात्त वृत्तियों के विकास में व्यवधान पड़ता है। रामचरितमानस में इन स्थितियों का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि जब-जब धर्म का ह्रास होता है, नीच और अभिमानी राक्षस बढ़ जाते हैं और अन्याय करने लगते हैं, पृथ्वी और वहाँ के निवासी कष्ट पाते हैं तब-तब कृपानिधान प्रभु भाँति-भाँति के दिव्य शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं। एक भक्त के रूप में तुलसीदास जी का विश्वास है कि सारा जगत राममय है और उनके मन में बसा भक्त कह उठता है सीय रा...