Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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जो लाते हैं उदास चेहरों पर मुस्कान

जो लाते हैं उदास चेहरों पर मुस्कान

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- आर.के. सिन्हा मणिपुर से लेकर मेवात तक से हिंसा और अशांति की खबरों के बीच एक उम्मीद अवश्य जागती है कि हमारे यहां किसी कारण से कष्ट में आ गए लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाले फरिश्तों की भी कोई कमी नहीं है। बाढ़, भूकंप या किसी महामारी के समय कुछ फरिश्ते उम्मीद बनकर सामने आ ही जाते हैं। मेवात में दंगा भड़काने वालों के खिलाफ तो कड़ी कार्रवाई करनी ही होगी, पर दंगों की चपेट में आए लोगों के इलाज और भोजन की व्यवस्था करने में राजधानी के शहीद भगत सिंह सेवा दल, दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी समेत कई सामाजिक संस्थानों के वालंटियर सामने आए। उन्होंने दंगा प्रभावित लोगों को भोजन से लेकर दवाइयां तक उपलब्ध करवाईं। याद रखिए, यह जो समाज सेवा का जज्बा है, ये सब में तो नहीं होता। समाज सेवा में कोई धन तो नहीं मिलता। बल्कि, घर से ही जाता है पर इंसान अपने को भीड़ से अलग तो कर ही लेता है। देश प्रेम की भावना से ओत-...
मेवात में शिवभक्तों पर हिंसा, संयोग या ‘प्रयोग’

मेवात में शिवभक्तों पर हिंसा, संयोग या ‘प्रयोग’

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- डॉ. पवन सिंह मेवात की धरती भगवान श्रीकृष्ण की भूमि है। यह उनकी क्रीडा स्थली रही है। यह यात्रा नूंह के नल्हड़ महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर शृंगार मंदिर पुन्हाना में संपन्न होती है। इन दोनों स्थानों का महत्व श्रीकृष्ण के नाम के साथ जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यहीं श्रीकृष्ण विराजमान हुए थे और उन्होंने पवित्र शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी स्थान पर उन्होंने कौरवों-पांडवों के मध्य संधि करवाने का प्रयास किया था। शृंगार मंदिर वह स्थान है जहां पर वहां के लोगों ने श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में उनका शृंगार किया था। इसलिए इसका नाम शृंगार मंदिर पड़ा। पुन्हाना का नाम भी 'भगवान पुनः आना' के आधार पर रखा गया है। यहां फिरोजपुर झिरका में स्थित झीर महादेव मंदिर भी वही स्थान है जहां पांडवों ने अज्ञातवास का समय बिताया था। इसलिए मेवात के कण-कण में प्रभु श्रीकृष्ण के अहसास को महसूस किया जा सकता है और इसी भाव को ध्य...
हिंसा की लपटों में फ्रांस

हिंसा की लपटों में फ्रांस

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- प्रभुनाथ शुक्ल फ्रांस इस समय दुनिया की सुर्खियों में है। देशभर में लोग हिंसक और उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। मैंक्रो सरकार हाशिये है। प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। निश्चित रूप से सारे घटनाक्रम की वजह फ्रांस की पुलिस और वहां का असहिष्णु कानून है। ट्रैफिक नियमों का कथित रूप से अनुपालन न करने पर एक किशोर को जांच की आड़ में गोली मार दी गई। कारचालक 17 वर्षीय किशोर नाहेल एम पर आरोप था कि उसने वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस पर रिवाल्वर तान दिया था। निश्चित रूप से इसकी जितनी आलोचना की जाए वह कम है। दुनिया भर में मानवीय और उसके अधिकार सर्वोपरि होने चाहिए। मीडिया की खबरों और उसके विश्लेषण से पता चलता है कि पुलिस अपनी नाकामी छिपाने के लिए निर्दोष युवक पर इस तरह का आरोप मढ़ रही है। नाहेल ने अगर ट्रैफिक नियम को तोड़ा था तो उसे दूसरे तरीके से भी सजा दी जा सकती थी। यह जुर्म इतना बड़ा नहीं था कि उसे गोली मार दी...