राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान और विक्रमी संवत
- सुरेश हिन्दुस्थानी
वर्तमान भारत में जिस प्रकार से सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है, उसके चलते हमारी परंपराओं पर भी गहरा आघात हुआ है। यह सब भारतीय संस्कृति के प्रति कुटिल मानसिकता के चलते ही किया गया। आज भारत के कई लोग इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि भारतीय संस्कृति क्या है, हमारे संस्कार क्या हैं? लेकिन अच्छी बात यह है कि कोई भी शुभ कार्य करने के लिए आज भी समाज का हर वर्ग भारतीय कालगणना का ही सहारा लेता है। चाहे वह गृह प्रवेश का कार्यक्रम हो या फिर वैवाहिक कार्यक्रम। हम भारतीय पंचांग का सहयोग ही लेते हैं। इसी प्रकार हमारे त्योहार भी प्राकृतिक और गृह नक्षत्रों पर ही आधारित होते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि वर्ष प्रतिपदा पूर्णत: वैज्ञानिक और प्राकृतिक नव वर्ष है।
कहा जाता है कि जो देश प्रकृति के अनुसार चलता है, प्रकृति उसकी रक्षा करती है। वर्तमान में जिस प्रकार से विश्व के अनेक हिस्सों ...