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गणेश शंकर विद्यार्थी: विद्यार्थी का प्रताप और कानपुर

गणेश शंकर विद्यार्थी: विद्यार्थी का प्रताप और कानपुर

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल महान पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के लेखों में गजब की ताकत थी। उनकी कलम ने ब्रिटिश हुकूमत की नींद हराम कर दी थी। जब उनकी कलम चलती थी तो अंग्रेजों की जड़ें हिल जाती थीं। उनकी लेखनी से ब्रिटिश सरकार इस कदर भयभीत रहती थी कि क्रांतिकारी लेखन के लिए उन्हें पांच बार सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा दी गई। वह स्वयं तो एक उच्च कोटि के पत्रकार थे ही, उन्होंने अनेक युवाओं को लेखक, पत्रकार तथा कवि बनने की प्रेरणा दी। कांग्रेस के विभिन्न आन्दोलनों में भाग लेने तथा ब्रिटिश सत्ता के अत्याचारों के विरुद्ध ‘प्रताप’ में निर्भीक लेख लिखने के कारण वे पांच बार जेल गए। जब भी उन्हें अंग्रेज सरकार गिरफ्तार करती तो उनकी अनुपस्थिति में प्रताप का संपादन माखनलाल चतुर्वेदी तथा बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ सरीखे साहित्य के दिग्गज संभाला करते थे। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के अतरसुइया मोहल्ले में 26 अक्टूबर...