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Tag: Vasant Panchami

राग-रंग और उत्सव का पर्व है वसंत पंचमी

राग-रंग और उत्सव का पर्व है वसंत पंचमी

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- रमेश सर्राफ धमोरा देश में पतझड़ के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है। हर तरफ रंग-बिरंगें फूल खिले दिखाई देते हैं। इस समय गेहूं की बालियां भी पक कर लहराने लगती हैं। उन्हें देखकर किसान हर्षित होते हैं। चारों ओर सुहाना मौसम मन को प्रसन्नता से भर देता है। इसीलिए वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु, कामदेव तथा रति की पूजा की जाती है। इस दिन ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी की रचना की थी। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा भी की जाती है। वसंत शब्द का अर्थ है वसंत और पंचमी का पांचवां दिन। इसलिये माघ महीने में जब वसंत ऋतु का आगमन होता है तो इस महीने के पांचवें दिन यानी पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है। ज...
शेखावटी की होली और चंग की थाप

शेखावटी की होली और चंग की थाप

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- रमेश सर्राफ धमोरा वसंत पंचमी से ही राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में होली का हल्ला शुरू हो जाता है। यहां के सभी गांवों के मोहल्लों में अपनी- अपनी चंग (ढफ) पार्टी होती है। चंग बजाने के साथ धमाल का सिलसिला गणगौर तक चलता है। चंग वादन की अभिव्यक्ति प्रभावशाली होती है। चंग पर थाप पड़ते ही लोग नाचने पर मजबूर हो जाते हैं। चंग के साथ गाये जाने वाले लोकगीतों को धमाल कहा जाता है। धमाल में होली से सम्बन्धित स्थानीय किस्से, कहावतें होती हैं। पुरुष चंग को अपने एक हाथ से थामकर और दूसरे हाथ से छड़ी के टुकड़े से व हाथ की थपकियों से बजाते हैं। साथ में झांझ, मंजीरे बजाते रहते हैं। एक घेरा बनाकर लोग धमाल गाते हैं। इसमें भाग लेने वाले पुरुष ही होते हैं, किंतु उनमें से कुछ पुरुष महिला वेष धारण कर नाचते हुये लोगो का मनोरंजन करते हैं। चंग वादन के बीच में गांव के पुरुषो द्वारा विभिन्न प्रकार के सांग निकाले जात...