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काशी में उत्तर और दक्षिण का संगम

काशी में उत्तर और दक्षिण का संगम

अवर्गीकृत
- सियाराम पांडेय 'शांत' भूतभावन भगवान विश्वेश्वर शिव की नगरी काशी विश्व की सांस्कृतिक राजधानी है। संदेशों की खेती के लिए इससे बेहतर और उर्वरा भूमि धरती पर अन्यत्र नहीं है। काशी वैसे तो कई संगमों के लिए जानी जाती है। वरुणा और असि के संगम की वजह से यह वाराणसी कही जाती है। पुराणों में इस बात का वर्णन मिलता है कि वाराणसी के पंचगंगाघाट में गंगा, यमुना, सरस्वती, किरण व धूतपाया नदियों का गुप्त संगम होता है। आदिकेशव घाट पर वरुणा और गंगा का अपना संगम है। उस काशी में उत्तर और दक्षिण का संगम शुरू हो चुका है। यह संगम केवल विचारों का नहीं है। साहित्य और संस्कृति का भी है। ज्ञान और विज्ञान का भी है। आस्था और भक्ति का भी है। इसमें साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान पर भी विचार संगम होना है। उत्...