Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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रेबीज से मौत, दहशत में लोग

रेबीज से मौत, दहशत में लोग

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर रेबीज से उत्पन्न हुई दर्दनाक घटनाओं ने समाज को भयभीत कर दिया है। आमजन इस बात से अचंभित हैं कि आखिर रेबीज का संक्रमण अचानक से इतना खतरनाक और जानलेवा कैसे हो गया? अकसर कुत्ता काटने के बाद पीड़ित रेबीज का टीका लगवा लेते हैं और एकाध सप्ताह में स्वस्थ हो जाते हैं। पर, अब घटनाएं जान लेने लगी हैं। कुछ दिन पहले की ही बात है जब गाजियाबाद में रेबीज इंफेक्शन के चलते सावेज नाम के एक 14 वर्षीय लड़के की मौत हो गई। बच्चे को डेढ़ माह पूर्व पार्क में खेलते वक्त कुत्ते ने दाहिने पैर में काटा था। बच्चे ने डर के चलते यह बात परिजनों से छुपाई। कुछ दिन बाद रेबीज का संक्रमण बच्चे के शरीर में इतनी तेजी से फैला कि लक्षण साफ दिखाई देने लगा। पिता बच्चे को गोद में लेकर अस्पतालों के चक्कर काटता रहा। लेकिन, किसी भी अस्पताल ने इलाज नहीं किया। आखिरकार बच्चे ने तड़प-तड़पकर पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया। किशो...
टीकाकरण और अवेयरनेस से जीवन रेखा में उल्लेखनीय सुधार

टीकाकरण और अवेयरनेस से जीवन रेखा में उल्लेखनीय सुधार

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा यदि कोरोना प्रकोप छोड़ दिया जाए तो अब इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया के देशों में जीवन रेखा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के समग्र प्रयासों का परिणाम है कि अपने समय की जानलेवा बीमारियां टीबी, मलेरिया, टाइफाइड, पोलियो, पीलिया, डायरिया आदि पर काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया है। दुनिया के देशों में बाल मृत्यु दर लगभग आधी रह गई है तो प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर भी करीब एक तिहाई रह गई है। संस्थागत प्रसव ने हालात में तेजी से सुधार किया है। दुनिया के अधिकांश देशों में संक्रामक रोगों का असर भी कम हुआ है तो डेंगू, स्वाइन फ्लू व इसी तरह की कुछ जानलेवा बीमारियां सामने आने लगी हैं। पिछले कुछ दशकों से हमारे देश ही नहीं दुनिया के लगभग अधिकांश देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसके लिए वैक्सिनेशन अभियान और सरकारों द्वारा अनवरत ...
टीकाकरण और अवेयरनेस से जीवनरेखा में उल्लेखनीय सुधार

टीकाकरण और अवेयरनेस से जीवनरेखा में उल्लेखनीय सुधार

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा यदि कोरोना प्रकोप छोड़ दिया जाए तो अब इसमें कोई दोराय नहीं कि दुनिया के देशों में जीवनरेखा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के समग्र प्रयासों का परिणाम है कि अपने समय की जानलेवा बीमारियां टीबी, मलेरिया, टाइफाइड, पोलियो, पीलिया, डायरिया आदि पर काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया हैं। दुनिया के देशों में बाल मृत्युदर लगभग आधी रह गई है तो प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर भी करीब एक तिहाई रह गई है। संस्थागत प्रसव ने हालातों में तेजी से सुधार किया है। दुनिया के अधिकांश देशों में संक्रामक रोगों का असर भी कम हुआ है तो डेंगू, स्वाइन फ्लू व इसी तरह की कुछ जानलेवा बीमारियां सामने आने लगी है। पिछले कुछ दशकों से हमारे देश ही नहीं दुनिया के लगभग अधिकांश देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसके लिए वैक्सीनेशन अभियान और सरकारों द्वारा अनवरत र...