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केजरीवाल नैरेटिव गढ़ने में उस्ताद

केजरीवाल नैरेटिव गढ़ने में उस्ताद

अवर्गीकृत
- राजीव खंडेलवाल भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अलग शैली का आज पूरा विश्व कायल है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस शैली को अपनाने की कोशिश करते नजर आते हैं। वह तरह-तरह के नैरेटिव गढ़ते हैं। वह शुरू से प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़ा करते रहे। बात नालियों को साफ करने की ही क्यों न रही हो। लेकिन उसके दुष्परिणाम स्वरूप आप दिल्ली की लोकसभा की सातों सीटें हार गई। नगर निगम में भी सफलता नहीं मिली। राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार के अनुसार जब कोई प्रियनेता लोकप्रिय हो, तब उस पर हमला करने का असर उल्टा ही होगा। जैसा ‘‘चांद पर थूका हुआ वापस थूकने वाले मुंह पर ही पड़ता है।’’ आप पंजाब चुनाव में उतरी तब प्रधानमंत्री पर केजरीवाल पुनः आक्रामक हो गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का ध्येय वाक्य है ‘‘माल कैसा भी हो, हांक हमेशा ऊंची लगानी चाहिये’’। आगे उदाहरणों से आप इस बात को अच्छी त...