अमृतकाल और अखंड भारत का प्रतिबिंब
- जी. किशन रेड्डी
लाल किले की प्राचीर से 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था- 'यह देश प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की ऐसी आधारशिला पर बना है, जहां वैदिक काल में हमें केवल एक ही मंत्र बताया जाता था…जिसे हमने सीखा है, जिसे हमने याद किया है–'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।' अर्थात हम साथ चलते हैं, हम साथ आगे बढ़ते हैं, हम साथ मिलकर सोचते हैं, हम मिलकर संकल्प लेते हैं और हम साथ मिलकर इस देश को आगे ले जाते हैं। प्रधानमंत्री ने तब एक ऐसे भारत के लिए अपना दृष्टिकोण अर्थपूर्ण तरीके से सामने रखा जिसमें प्रत्येक भारतीय का साझा लक्ष्य था। उन्होंने ऐसे भविष्य का संकेत दिया था, जहां जनभागीदारी सबसे मजबूत हथियार के रूप में और विश्व गुरु के रूप में सत्ता के शिखर पर उभरेगी।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने कैलेंडर पर एक महत्वपूर्ण तिथि अंकित की 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में 31 अक्टूबर। यह भार...