Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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अमृतकाल और अखंड भारत का प्रतिबिंब

अमृतकाल और अखंड भारत का प्रतिबिंब

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- जी. किशन रेड्डी लाल किले की प्राचीर से 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था- 'यह देश प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की ऐसी आधारशिला पर बना है, जहां वैदिक काल में हमें केवल एक ही मंत्र बताया जाता था…जिसे हमने सीखा है, जिसे हमने याद किया है–'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।' अर्थात हम साथ चलते हैं, हम साथ आगे बढ़ते हैं, हम साथ मिलकर सोचते हैं, हम मिलकर संकल्प लेते हैं और हम साथ मिलकर इस देश को आगे ले जाते हैं। प्रधानमंत्री ने तब एक ऐसे भारत के लिए अपना दृष्टिकोण अर्थपूर्ण तरीके से सामने रखा जिसमें प्रत्येक भारतीय का साझा लक्ष्य था। उन्होंने ऐसे भविष्य का संकेत दिया था, जहां जनभागीदारी सबसे मजबूत हथियार के रूप में और विश्व गुरु के रूप में सत्ता के शिखर पर उभरेगी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कैलेंडर पर एक महत्वपूर्ण तिथि अंकित की 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में 31 अक्टूबर। यह भार...
अखंड भारत को साकार करेगी समान नागरिक संहिता

अखंड भारत को साकार करेगी समान नागरिक संहिता

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- विजय विक्रम सिंह सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले दिनों 'समान नागरिक संहिता' (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने के प्रावधान वाले प्राइवेट मेंबर बिल को राज्यसभा में पेश किया। विपक्षी विरोध पर सरकार ने कहा कि बिल पेश करना उनका अधिकार है। विपक्ष ने बिल वापस लेने की मांग की तो सभापति जगदीप धनखड़ ने वोटिंग करा दी। पक्ष में 63 और विरोध में 23 वोट पड़े। समान नागरिक संहिता का मतलब सभी नागरिकों के लिए समान कानून। भारत में क्रिमिनल लॉ समान रूप से लागू होते हैं, लेकिन विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे सिविल मामलों में ऐसा नहीं है। ऐसे मामलों में पर्सनल लॉ लागू होते हैं। अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अलग-अलग कानून हैं। तीन तलाक, अनुच्छेद-370 की समाप्ति और नागरिकता संशोधन कानून। शायद ही किसी सरकार ने इतनी तेज रफ्तार के साथ घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाया हो, जिस दृढ़ता के साथ नरेन्द्र मोद...

राष्ट्रप्रेम का ज्वार, अखंड भारत का सपना हो सकार

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में जब कहीं से भी देश को तोड़ने की बात आती है तो स्वाभाविक रूप से उसका प्रतिकार भी जबरदस्त तरीके से होता है। यह प्रतिकार निश्चित रूप से उस राष्ट्रभक्ति का परिचायक है, जो इस भारत देश को देवभूमि भारत के रूप में प्रतिस्थापित करने का प्रमाण प्रस्तुत करने का अतुलनीय सामर्थ्य रखती है। यह आज के समय की बात है, लेकिन हम उस कालखंड का अध्ययन करें, जब भारत का विभाजन दर विभाजन हुआ। उस समय के भारतीयों के मन में विभाजन का असहनीय दर्द हुआ। जो असहनीय पीड़ा के रूप में उनके जीवन में प्रदर्शित होता रहा और देश को जगाते-जगाते वे परलोक गमन कर गए। अभी तक भारत देश के सात विभाजन हो चुके हैं। जरा कल्पना कीजिए कि अगर आज भारत अखंड होता तो वह दुनिया की महाशक्ति होता। उसके पास मानव के रूप में जनशक्ति का प्रवाह होता। लेकिन विदेशी शक्तियों ने भारत के कुछ महत्वाकांक्षी शासकों को प्रलोभन देकर ...