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राष्ट्रीय एकता के लिए एक समान कानून जरूरी

राष्ट्रीय एकता के लिए एक समान कानून जरूरी

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- हृदयनारायण दीक्षित समान नागरिक संहिता अपरिहार्य है। यह राष्ट्र राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे आवश्यक बताया है। मोदी ने समान नागरिक संहिता को राष्ट्र की जरूरत बताते हुए कहा कि, इसके नाम पर कुछ दल मुस्लिमों को भड़का रहे हैं। उन्होंने इसके विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि, एक घर एक परिवार में प्रत्येक सदस्य के लिए अलग अलग कानून हों तो वह परिवार कैसे चल पाएगा? उन्होंने याद दिलाया कि `सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात की थी। लेकिन वोटबैंक राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं।' आखिरकार विश्वास आधारित सांप्रदायिक समूहों के लिए अलग अलग कानून कैसे हो सकते हैं। संविधान निर्माताओं ने प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का कर्तव्य (अनुच्छेद 44) राष्ट्र राज्य को सौंपा है। समान सिविल संहिता राष्ट्रीय एकता के लिए भी अनिव...
सामाजिक एकता बढ़ाएगा समान कानून

सामाजिक एकता बढ़ाएगा समान कानून

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में समान नागरिक कानून की चर्चा बहुत ज्यादा है। होना भी चाहिए, क्योंकि विश्व के अधिकांश देश समान कानून की अवधारणा को स्वीकार करते हैं। आज जो देश विश्व की महाशक्ति मानने का साहस रखते हैं, उन सभी देशों में कानून के नाम पर कोई समझौता नहीं किया जाता। भारत में कानून के नाम पर जो प्रावधान हैं, उनमें कई प्रकार की खामियां देखने को मिलती हैं। जो समाज में असमानता का भाव पैदा करने वाले कहे जा सकते हैं। विसंगति यह है कि मुस्लिमों के लिए जो पर्सनल कानून बनाए गए हैं, वे सामाजिक उत्थान और मुसलमानों को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने का ही एक प्रयास था, लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ है, यह हम सभी के सामने है। मुस्लिम समाज का कुछ वर्ग देश की वास्तविकता से परिचित होना नहीं चाहता। इतना ही नहीं वह अभी तक भारत के उन संस्कारों से समरस नहीं हो सका है, जो मुगलों और अंग्रेजों से पहले से चल...