Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Uniform Civil Code

देश की जरूरत है समान नागरिक संहिता और चुनाव-सुधार

देश की जरूरत है समान नागरिक संहिता और चुनाव-सुधार

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- गिरीश्वर मिश्र ‘गण’ समूह की इकाई का बोधक प्राचीन शब्द है। वह एक ऐसी इकाई जो सुपरिभाषित हो और जिसका परिगणन संभव हो। गण ‘संघ’ का पर्याय है और गणों का समूह भी। देवताओं में विघ्न विनाशक गणेश जी ‘गणपति’ के रूप में विख्यात हैं। अभी-अभी पूरे देश में उनकी वंदना का उत्सव मनाया गया। स्वयं गणपति तो सेकुलर हैं पर सेकुलर राजनीति उनको ग़ैर-सेकुलर मानती है। भारत की संसद ने एक संविधान को अंगीकार किया जो सामाजिक विषमताओं और असमानताओं को दूर करने और नागरिक जीवन के विधिसम्मत संचालन की व्यवस्था करता है। उल्लेखनीय है कि देश की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता और बहुलता उस समय भी मौजूद थी जब संविधान बन रहा था। परंतु उस दौरान सब के बीच देश की एकता मुखर थी और उसके प्रति एकल प्रतिबद्धता थी देश को स्वतंत्रता मिली और ‘स्वराज’ यानी अपने ऊपर अपना राज स्थापित करने का अवसर मिला। स्वराज का भाव जिम्मेदारी भी सौंपता है। हमने...
समान नागरिक संहिता पर केंद्रीय कानून की जरूरत

समान नागरिक संहिता पर केंद्रीय कानून की जरूरत

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- डॉ. अनिल कुमार निगम समान नागरिक संहिता बनाने के मामले में उत्तराखंड सरकार ने जिस तरीके से पहल की है, उससे हम सब के जेहन में एक अहम सवाल यह है कि क्या केंद्र की एनडीए सरकार इस पर कानून बनाकर संपूर्ण देश में लागू कर सकती है? अब देश के अन्य राज्यों ने भी इस पर कानून बनाने की योजना बनानी शुरू कर दी है। अगर हर राज्य समान नागरिक संहिता पर अलग- अलग कानून बनाते हैं तो उससे जो संसद द्वारा कानून बनाए गए हैं, मसलन तलाक, उत्तराधिकार अधिनियम, विवाह जैसे अधिनियमों का क्या होगा? ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारों के कानूनों को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी। इसलिए आवश्यक है कि केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता के मामले पर अपनी चुप्पी तोड़े। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने का मुद्दा भाजपा के घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है। इसलिए सवाल उठना लाजमी है क...
किसे नामंजूर है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

किसे नामंजूर है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

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- आर.के.सिन्हा आप देख ही रहे होंगे कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी 'समान नागरिक संहिता' को लागू करने की कोशिशें फिर से शुरू होते ही कठमुल्ला मुसलमान और कई तरह के राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी तत्व लामबंद होने लगे हैं। वे कहने लगे हैं कि वे इस कानून को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। इसके साथ ऐसे लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं जो कुछ वर्षों से दलित-मुस्लिम एकता के बड़े पैरोकार होने का दावा करते हैं। अब उन्हें यह कौन बताए कि बाबा साहेब आम्बेडकर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश के लिये निहायत जरूरी बताया था। बाबा साहेब ने 23 नवंबर 1948 को संविधान सभा की बहस में यूनिफॉर्म सिविल कोड के हक में जोरदार भाषण दिया था । जो मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ के लिए मरने-मारने की बातें कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें शरीयत कानून इतना ही प्रिय है तो वे बैंकों से मिलने वाले ब्याज को क्यों लेते हैं। इस्लाम में तो...
समान नागरिक संहिता पर ‘विपक्ष का ढोल, खुलती पोल’

समान नागरिक संहिता पर ‘विपक्ष का ढोल, खुलती पोल’

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- सियाराम पांडेय 'शांत' विपक्ष अपनी लामबंदी का ढोल चाहे जितना पीटे,लेकिन उसे यह तो मानना ही पड़ेगा कि एजेंडा तय करने के मामले में वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पासंग बराबर भी नहीं है। नौ साल इस देश का विपक्ष प्रधानमंत्री की बिछाई राजनीतिक पिच पर ही खेलता रहा है। उनकी हर चाल विपक्ष पर भारी पड़ती रही है। ऐसा शायद ही कभी देखने-सुनने को मिला हो कि विपक्ष की किसी रणनीति से भाजपा और उसके सहयोगी दलों की पेशानियों पर बल पड़े हों। उन्हें कोई परेशानी हुई हो। हाल ही में प्रधानमंत्री ने भोपाल से देश को पांच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की सौगात दी। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ही क्यों करते हैं। अब उन्हें यह कौन समझाए कि श्रेय और प्रेय का यह खेल आजादी के बाद से ही शुरू हो गया था और इसका श्रीगणेश भी कांग्रेस ने ही किया था। उसके बाद की सरकारें तो महाजनों येन गता ...
राष्ट्रीय एकता के लिए एक समान कानून जरूरी

राष्ट्रीय एकता के लिए एक समान कानून जरूरी

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- हृदयनारायण दीक्षित समान नागरिक संहिता अपरिहार्य है। यह राष्ट्र राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे आवश्यक बताया है। मोदी ने समान नागरिक संहिता को राष्ट्र की जरूरत बताते हुए कहा कि, इसके नाम पर कुछ दल मुस्लिमों को भड़का रहे हैं। उन्होंने इसके विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि, एक घर एक परिवार में प्रत्येक सदस्य के लिए अलग अलग कानून हों तो वह परिवार कैसे चल पाएगा? उन्होंने याद दिलाया कि `सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात की थी। लेकिन वोटबैंक राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं।' आखिरकार विश्वास आधारित सांप्रदायिक समूहों के लिए अलग अलग कानून कैसे हो सकते हैं। संविधान निर्माताओं ने प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का कर्तव्य (अनुच्छेद 44) राष्ट्र राज्य को सौंपा है। समान सिविल संहिता राष्ट्रीय एकता के लिए भी अनिव...
समय की जरूरत है समान नागरिक संहिता

समय की जरूरत है समान नागरिक संहिता

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- मृत्युंजय दीक्षित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अब भारत देश हित में लिया गया अपना एक और संकल्प पूरा करने की ओर अग्रसर है और यह संकल्प है समान नागरिक संहिता का। देश लम्बे समय से समान नागरिक संहिता कानून मांग कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि समान नागरिक संहिता संविधान सम्मत है। भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात के संकेत दे दिये हैं कि अब सरकार समान नागरिक संहिता पर तीव्र गति से आगे बढ़ रही है और 2024 लोकसभा चुनाव से पूर्व ही संसद के आगामी सत्रों में सदन से पारित करवाया जा सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकदम साफ कहा कि कुछ विरोधी दल जो तुष्टिकरण करते हैं तथा मुस्लिम समाज को केवल अपना वोटबैंक समझते हैं, वही यूनिफार्म सिविल कोड के नाम पर मुसलमानों को भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा कि ...
अखंड भारत को साकार करेगी समान नागरिक संहिता

अखंड भारत को साकार करेगी समान नागरिक संहिता

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- विजय विक्रम सिंह सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले दिनों 'समान नागरिक संहिता' (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने के प्रावधान वाले प्राइवेट मेंबर बिल को राज्यसभा में पेश किया। विपक्षी विरोध पर सरकार ने कहा कि बिल पेश करना उनका अधिकार है। विपक्ष ने बिल वापस लेने की मांग की तो सभापति जगदीप धनखड़ ने वोटिंग करा दी। पक्ष में 63 और विरोध में 23 वोट पड़े। समान नागरिक संहिता का मतलब सभी नागरिकों के लिए समान कानून। भारत में क्रिमिनल लॉ समान रूप से लागू होते हैं, लेकिन विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे सिविल मामलों में ऐसा नहीं है। ऐसे मामलों में पर्सनल लॉ लागू होते हैं। अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अलग-अलग कानून हैं। तीन तलाक, अनुच्छेद-370 की समाप्ति और नागरिकता संशोधन कानून। शायद ही किसी सरकार ने इतनी तेज रफ्तार के साथ घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाया हो, जिस दृढ़ता के साथ नरेन्द्र मोद...
सबके लिए एक-जैसा कानून क्यों नहीं ?

सबके लिए एक-जैसा कानून क्यों नहीं ?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भाजपा कई वर्षों से लगातार वादा कर रही है कि वह सारे देश में सबके लिए निजी कानून एक-जैसा बनाएगी। वह समान नागरिक संहिता लागू करने की बात अपने चुनावी घोषणा पत्रों में बराबर करती रही है। निजी मामलों में समान कानून का अर्थ यही है कि शादी, तलाक, उत्तराधिकार, दहेज आदि के कानून सभी मजहबों, जातियों और क्षेत्रों में एक-जैसे हों। भारत की दिक्कत यह है कि हमारे यहां अलग-अलग मजहब में निजी-कानून अलग-अलग तो हैं ही, जातियों और क्षेत्रों में अलग-अलग से भी ज्यादा परस्पर विरोधी परंपराएं बनी हुई हैं। जैसे हिंदू कोड बिल के अनुसार हिंदुओं में एक पत्नी विवाह को कानूनी माना जाता है लेकिन शरीयत के मुताबिक एक से ज्यादा बीवियां रखने की छूट है। भारत के कुछ उत्तरी हिस्से में एक औरत के कई पति हो सकते थे। भारत के दक्षिणी प्रांतों में मामा-भानजी की शादी भी प्रचलित रही है। आदिवासी क्षेत्रों में बहु ...
देश में लागू होना चाहिए समान नागरिक संहिता : मुख्यमंत्री शिवराज

देश में लागू होना चाहिए समान नागरिक संहिता : मुख्यमंत्री शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने समान नागरिक संहिता (uniform civil code) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश में एक समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में हूं। प्रदेश में इसके लिये कमेटी बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री चौहान गुरुवार को बड़वानी जिले के सेंधवा विकास खण्ड अंतर्गत ग्राम चाचरिया में पेसा एक्ट जागरुकता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कई बार बड़े खेल हो जाते हैं। खुद जमीन नहीं ले सकते तो किसी आदिवासी के नाम से जमीन ले ली। कई बदमाश ऐसे भी आ गए, जो आदिवासी बेटी से शादी करके जमीन उसके नाम से ले लेते हैं। कई तो सरपंची का चुनाव लड़वा देते हैं। शादी कर ली तुम सरपंच बन जाओ और मैं पैसा खा जाऊं। अब मामा ऐसे लोगों को लटकाएगा, छोड़ेगा नहीं। आज मैं जागरण की अलख जगाने आया हूं। बेटी से शादी की और जमीन ले ली। मैं तो इस बात का पक...