देश की जरूरत है समान नागरिक संहिता और चुनाव-सुधार
- गिरीश्वर मिश्र
‘गण’ समूह की इकाई का बोधक प्राचीन शब्द है। वह एक ऐसी इकाई जो सुपरिभाषित हो और जिसका परिगणन संभव हो। गण ‘संघ’ का पर्याय है और गणों का समूह भी। देवताओं में विघ्न विनाशक गणेश जी ‘गणपति’ के रूप में विख्यात हैं। अभी-अभी पूरे देश में उनकी वंदना का उत्सव मनाया गया। स्वयं गणपति तो सेकुलर हैं पर सेकुलर राजनीति उनको ग़ैर-सेकुलर मानती है। भारत की संसद ने एक संविधान को अंगीकार किया जो सामाजिक विषमताओं और असमानताओं को दूर करने और नागरिक जीवन के विधिसम्मत संचालन की व्यवस्था करता है। उल्लेखनीय है कि देश की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता और बहुलता उस समय भी मौजूद थी जब संविधान बन रहा था। परंतु उस दौरान सब के बीच देश की एकता मुखर थी और उसके प्रति एकल प्रतिबद्धता थी देश को स्वतंत्रता मिली और ‘स्वराज’ यानी अपने ऊपर अपना राज स्थापित करने का अवसर मिला।
स्वराज का भाव जिम्मेदारी भी सौंपता है। हमने...