Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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सहयोगी दलों की भावनाओं को समझे कांग्रेस

सहयोगी दलों की भावनाओं को समझे कांग्रेस

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- रमेश सराफ धमोरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत एनडीए गठबंधन की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए देश के 28 प्रमुख विपक्षी दलों ने गठबंधन बनाकर एक साथ चुनाव लड़ने का संकल्प जाहिर किया था। कांग्रेस गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। मगर गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों की ताकत भी कम नहीं है। क्षेत्रीय दल भी अपने-अपने प्रदेशों में मजबूत स्थिति में है। लगने लगा था कि आने वाले समय में यह गठबंधन भाजपा को टक्कर दे सकता है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आने लगा वैसे-वैसे क्षेत्रीय दलों के नेता कांग्रेस से सीटों का बंटवारा करने की बात करने लगे। मगर कांग्रेस पार्टी पहले कर्नाटक व हिमाचल विधानसभा चुनाव में व्यस्तता की बात कहती रही। फिर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना विधानसभा चुनाव के बहाने बात को टाल दिया। कांग्रेस के चलते विपक्षी गठबंधन में श...
पृथ्वी की पीड़ा को समझें

पृथ्वी की पीड़ा को समझें

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- हृदयनारायण दीक्षित भारतीय विवेक और श्रद्धा में पृथ्वी माता हैं। पृथ्वी को मां मानने और जानने की अनुभूति केवल भारत में है। हम सब पृथ्वी पुत्र हैं। इसी में जन्म लेते हैं। पृथ्वी ही पालती है। यही पोषण करती है। लेकिन दूषित पर्यावरण के कारण पृथ्वी का अस्तित्व संकट में है। सारी दुनिया का ताप बढ़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण वैज्ञानिकों के सामने भी बड़ी चुनौती है। आज से 18 साल पहले 2005 में संयुक्त राष्ट्र का सहस्त्राब्दी पर्यावरण आकलन (मिलेनियन इकोसिस्टम असेसमेंट) आया था। यह एक गंभीर दस्तावेज था और है। इस अनुमान में कहा गया था कि पृथ्वी के प्राकृतिक घटक अव्यवस्थित हो गए हैं। यह अनुमान 18 वर्ष पुराना है। इसके पूर्व सन 2000 में भी पेरिस के `अर्थ चार्टर कमीशन' ने पृथ्वी और पर्यावरण संरक्षण के 22 सूत्र निकाले थे। लेकिन इस दिशा में कोई महत्वपूर्ण काम नहीं हुआ। कोई ठोस संकल्प नहीं लिए गए। वैसे वैदिक सा...
राष्ट्र और नेशन में फर्क समझिए

राष्ट्र और नेशन में फर्क समझिए

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- हृदयनारायण दीक्षित हिन्दू राष्ट्र सम्प्रति चर्चा में है। भारत विश्व का पहला राष्ट्र है। यूरोप के देशों में ‘नेशन’ और नेशनेलिटी का जन्म 9वी-10वीं सदी में हुआ। भारत में राष्ट्रभाव का उदय ऋग्वेद के रचनाकाल से भी प्राचीन हो सकता है। ऋग्वेद में ‘राष्ट्र’ शब्द का कई बार उल्लेख हुआ है। राष्ट्र के लिए अंग्रेजी में कोई समानार्थी शब्द नहीं है। राष्ट्र की अवधारणा भिन्न है और नेशन की बिल्कुल भिन्न। राष्ट्र और नेशन एक नहीं हैं। इतिहास के मध्यकाल तक पश्चिम में नेशलिज्म या राष्ट्रवाद जैसा कोई विचार नहीं था। ऋग्वेद (8.24.27) में मंत्र है कि “इन्द्र ने सप्तसिन्धुषु में जल प्रवाहित किया।” सप्त सिंधु 7 नदियों के प्रवाह वाला विशेष भूखण्ड है। इसकी पहचान 7 नदियों से होती है। वैदिक साहित्य के विवेचक मैक्डनल और कीथ ने लिखा है कि “यहां एक सुनिश्चित देश का नाम लिया गया है।” पुसाल्कर ने नदी नामों के आधार पर इस...
एयर इंडिया की बंपर खरीद का जरा संदेश भी समझिए

एयर इंडिया की बंपर खरीद का जरा संदेश भी समझिए

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- आर.के. सिन्हा एयर इंडिया ने 470 अत्याधुनिक यात्री विमान के ऑर्डर देने के साथ ही एक इतिहास ही रच दिया है। मजे की बात यह है कि एयर इंडिया के पास अब भी 370 जेट और खरीदने का विकल्प बचा हुआ ही है। उसके इस फैसले से सारी विमान सेवाओं की दुनिया में भूचाल सा आ गया। अब एक और आंकड़े पर गौर करें। एक अनुमान के मुताबिक, इस साल 19 करोड़ देसी-विदेशी यात्री भारत के ऊपर से हवाई यात्रा करेंगे। कितना बड़ा है यह आंकड़ा। इस आंकड़े के आलोक में समझना होगा कि देश-दुनिया का एविएशन सेक्टर किस रफ्तार से छलांग लगा रहा है। इसलिए एयर इंडिया का करीब पौने पांच सौ विमानों को खरीदने का फैसला साबित करता है कि उसके इरादे साफ हैं और इच्छा शक्ति बुलंद भी । एयर इंडिया अपने को दुनिया की एक चोटी की एयरलाइंस के रूप में स्थापित करने का पूरा मन बना चुकी है। वह यूं ही तो इतना अधिक निवेश नहीं कर रही है। हालांकि अभी तो भारत में ही “...
समझना होगा ऊर्जा का महत्व

समझना होगा ऊर्जा का महत्व

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- रमेश सर्राफ धमोरा हमारे जीवन में प्रतिदिन के विभिन कार्यों के संचालन के लिए ऊर्जा अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ-साथ प्रतिवर्ष ऊर्जा की मांग भी बढ़ती जा रही है। हम प्रतिदिन विभिन रूपों में ऊर्जा का उपयोग करते है। अतः भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसका संरक्षण आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य विभिन उपायों के माध्यम से ऊर्जा का संरक्षण करना है। ऊर्जा संरक्षण के अंतर्गत विभिन्न कार्यों के माध्यम से ऊर्जा का उपयोग इस प्रकार किया जाता है, जिससे वर्तमान की आवश्यता की पूर्ति के साथ भविष्य की जरूरतें भी पूरी हो सकें। ऊर्जा संरक्षण से तात्पर्य ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग है। इसका अर्थ है ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग न करना एवं कम से कम ऊर्जा का उपयोग करते हुए कार्य को करना। बिजली आज पूरी दुनिया की सबसे अहम जरूरत बन गई है। बिजली के बिना कोई भी...
आरबीआई की चिंता को समझें नगरीय निकाय

आरबीआई की चिंता को समझें नगरीय निकाय

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- लालजी जायसवाल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पहली बार 27 राज्यों के सभी नगरीय निकायों की माली हालात पर विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट जारी की है। साथ ही इनकी खराब वित्तीय स्थिति पर चिंताजनक टिप्पणी की है। यह रिपोर्ट नगर निकायों की वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 तक के वित्तीय खाते की पड़ताल के बाद 10 नवंबर को जारी की गई है। इसमें साफ किया गया है कि तमाम कोशिशों के बावजूद नगरीय निकाय अपना राजस्व बढ़ाने का कोई ठोस तरीका नहीं निकाल पा रहे हैं। इस रिपोर्ट से इन निकायों के साथ ही राज्य सरकारों को भी सावधान हो जाने की जरूरत है। आने वाले समय में राज्य सरकारों को अपने नगर निकायों की वित्तीय दशा सुधारने को लेकर गंभीरता का परिचय देना होगा, क्योंकि शहर ही विकास के वाहक होते हैं। वास्तविकता में यदि स्थानीय निकायों की स्थिति नहीं सुधरी तो वे समस्याओं से सदैव घिरे रहेंगे। चिंता की बात यह है कि इसके दुष्परिणाम ...

षड्यंत्रों को समझिए, तैयारी कीजिये

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- संजय तिवारी झारखंड में अंकिता के साथ जो भी हुआ ,बहुत दुखद है। इससे भी ज्यादा दुखद अतिशय सहिष्णुता है। अर्थ और बाजार आधारित समाज मे ये घटनाएं आश्चर्य नहीं लेकिन विचलित करने वाली हैं। आखिर हम कितने और सहिष्णु बनें? क्या यह अतिशय सहिष्णुता हमें रहने देगी? कोई यह तो बताए कि मनुष्यता कहां है? और कितने सहिष्णु होना चाहते हैं? यह होता ही है। आर्थिक समृद्धि के बाद सामाजिक चिंता और सभ्यता में सहिष्णुता का प्रभाव अपने कार्य करने लगते हैं। समृद्ध सभ्यताओं को किसी वाह्य सभ्यता या घुसपैठ से बहुत चिंता नहीं होती । उनमें सभी के प्रति एक सहिष्णु भाव ही रहता है। मनुष्य और मनुष्य में समृद्ध सभ्यता भेद नहीं करती। इसीलिए ऐसी सभ्यताएं सर्वदा षड्यंत्रों से निश्चिन्त रहती हैं लेकिन घुसपैठिये और षड्यंत्रकारी उन्हें निरंतर हानि पहुचाते रहते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं भारत है। प्राचीन भारत की समृद्धि और सं...

आजादी के अमृत और गुलामी के विष का फर्क तो समझें

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- सियाराम पांडेय'शांत' आजादी मन का विषय है। यह तन और धन का विषय है ही नहीं। हालांकि तन, मन और धन एक-दूसरे के पूरक हैं। एक-दूसरे से जुड़े हैं। इनमें से एक भी कम हो तो बात बिगड़ जाती है और बिगड़ी बात कभी बनती नहीं। उसी तरह जैसे बिगड़े हुए दूध से मक्खन नहीं बनता। मतभेद तो फिर भी दूर किए जा सकते हैं लेकिन मनभेद को दूर करना किसी के भी वश का नहीं। इस साल भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। तिरंगा यात्रा निकाल रहा है। देश के हर घर, हर संस्थान पर तिरंगा लहरा रहा है। कुछ राजनीतिक दल अगर राष्ट्रध्वज बांट रहे हैं तो कुछ इस पर टिप्पणी भी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह रहे हैं कि तिरंगे की आड़ में भाजपा अपने पाप छिपा रही है। तिरंगा उसे अपने कार्यालयों पर लगाना चाहिए। पार्टी का झंडा उतारकर लगाना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और खंडित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे कह र...

द्रौपदी मुर्मू के हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए

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- आर.के. सिन्हा भारत के 15 वें राष्ट्रपति पद की शपथ हिन्दी में लेकर द्रौपदी मूर्मू ने सारे देश को एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश दिया है। मूल रूप से ओडिशा से संबंध रखने वाली द्रौपदी मूर्मू अगर उड़िया या किसी अन्य भाषा में भी शपथ लेती तो कोई अंतर नहीं पड़ता। देश को अपनी सभी भाषाओं और बोलियों पर गर्व है। वो हिन्दी में शपथ लेकर अचानक से सारे देश में पहुंच गईं। समूचे देश ने उन्हें हिंदी में शपथ लेते हुए देखा-सुना। बेशक, हिन्दी देश की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। इस संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता। हिन्दी की सारे देश में स्वीकार्यता है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ भी रही है। अगर छुद्र राजनीति को छोड़ दिया जाए तो इसे सारे देश में बोली और समझी जाती है। कुछ समय पहले ही देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य रूप से पढ़ाने पर वहां की राज्य सरकारें राजी हो चुक...