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भारत की मूल विरासत है अखंड सांस्कृतिक वैभव

अवर्गीकृत
- संजय तिवारी अखंडता भारत का मूल सांस्कृतिक वैभव है। विरासत है। यही सत्य सनातन है जो भारत को भारत बनाता है। भूखंड के रूप में इसके टूटने और बिखरने की पीड़ा अवश्य रहती है लेकिन गर्व इस बात का होता है कि इस विखंडन के बाद भी संस्कृति का मूल जीवित रहता है। तात्कालिक भूखण्डीय विभाजन के 75 वर्ष पूरे हो चुके। इस बार का 15 अगस्त भारत के शेष भूखंड के लिए स्वाधीनता के अमृत वर्ष पूरे कर रहा। आगे के 25 वर्ष ऐसे होने वाले हैं जब विश्व मे मनुष्यता को स्थापित करने के लिए इस भारत की अत्यंत आवश्यकता है। जब 2047 में भारत अपनी स्वाधीनता की शताब्दी मना रहा होगा तब विश्व मे इसकी महत्ता बहुत बढ़ चुकी होगी। यह क्यों और कैसे होगा ,इसको इतिहास की दृष्टि से देखना चाहिए। आज आधुनिक विश्व मे आधुनिक भारत वर्ष अपनी स्वाधीनता के अमृत काल मे है। प्राचीन विश्व की एक मात्र सभ्यता जो अपनी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक विरासत के साथ ...