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हैदराबाद नि:शस्त्र प्रतिरोध-2: तमाम बंदिशों के बावजूद ऐसे शुरू हुआ निजाम के विरुद्ध जनप्रतिरोध

अवर्गीकृत
- डॉ. श्रीरंग गोडबोले हैदराबाद राज्य के 88 प्रतिशत हिंदुओं पर निजाम और उनकी खाकसार पार्टी का दमन आरंभ हो चुका था। उस दमन चक्र में निजाम सेना, इत्तेहादुल मुस्लिमीन, रोहिले, पठान और अरब के लोग शामिल थे। यह उत्पीड़न वर्ष 1920 के बाद शुरू हुआ और लगातार बढ़ता ही गया। सन् 1938 में स्थिति और भी भयावह हो गई। हिंदुओं के लिए शिकायतें दर्ज कराने के मार्ग भी बंद कर दिए गए। अन्यायी निजाम राजशाही के विरुद्ध नि:शस्त्र प्रतिरोध करने के अतिरिक्त हिंदुओं के समक्ष कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। राजनीतिक चेतना जागरण के प्रयास हैदराबाद राज्य में हिंदुओं के लिए उस समय दो संस्थाएं काम कर रहीं थीं। पहली थी आर्य समाज और दूसरी थी ‘हैदराबाद हिंदू सब्जेक्ट्स लीग’ अथवा ‘हिंदू सिविल लिबर्टीज यूनियन’। इनमें आर्य समाज की स्थापना धारूर गांव (जिला-बीड, महाराष्ट्र) में 1880 में और हैदराबाद के सुल्तान बाजार में 1892 में हुई...