Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: UCC

स्त्री और पुरुष; समानता के हक में है यूसीसी

स्त्री और पुरुष; समानता के हक में है यूसीसी

अवर्गीकृत
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी उत्तराखंड में चल रहे विधानसभा सत्र के बीच अपने घर से निकलते समय संविधान की मूल प्रति को लेकर सदन पहुंचने के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ओर यह कहकर देश में नई बहस शुरू कर दी है कि ''देश के संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 को सार्थकता प्रदान करने की दिशा में आज का दिन देवभूमि उत्तराखंड के लिए विशेष है। देश का संविधान हमें समानता और समरसता के लिए प्रेरित करता है और समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की प्रतिबद्धता इस प्रेरणा को साकार करने के लिए एक सेतु का कार्य करेगी।'' इसके साथ सदन में पहुंचकर उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को सदन के पटल पर रख यह बता दिया है कि प्रत्येक नागरिक की समानता को लेकर जो शुरुआत उत्तराखंड से हुई है, वह अब अनेक राज्यों में होते हुए केंद्र तक जाएगी। देहरादून स्थित जामा मस्जिद श...
क्या जनसंख्या रोकने का हथियार बनेगा यूसीसी?

क्या जनसंख्या रोकने का हथियार बनेगा यूसीसी?

अवर्गीकृत
- डॉ.रमेश ठाकुर जनसंख्या में हम नंबर वन हो गए हैं, जो उपलब्धि नहीं है, बल्कि घोर चिंता का विषय है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत को जनसंख्या आबादी के लिहाज से अव्वल घोषित कर दिया है, जबकि इस पायदान पर काफी समय से चीन ही रहा। लेकिन अब वो दूसरे नंबर पर है। बेहताशा बढ़ती जनसंख्या न केवल वर्तमान विकास क्रम को प्रभावित कर रही है, बल्कि भविष्य की कई चुनौतियां को भी खड़ा कर दिया है। हिंदुस्तान में सुगबुगाहट बीते कुछ महीनों से है कि जनसंख्या रोकने की योजना बन चुकी है जिसका खुलासा जल्द होने वाला है। आगामी इसी माह की 20 तारीख से संसद का मॉनसून सत्र आरंभ होने वाला है जिसमें केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून को पारित करेगी। बताया जा रहा है कि यूसीसी के भीतर ही जनसंख्या नियंत्रण का मसौदा भी शामिल हैं। हालांकि इसको लेकर अभी भ्रम की स्थिति बनी हुई। फिलहाल कानून के ड्राफ्ट के संबंध में अभी तक खुलकर सरकार ने...
यूसीसी की दरकार, बहस का हो प्रतिकार

यूसीसी की दरकार, बहस का हो प्रतिकार

अवर्गीकृत
- कमलेश पांडेय जिस देश के उच्च सदन यानी राज्यसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने या करवाने के सवाल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक हो, वहां पर लोकतंत्र के भविष्य पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना बेमानी होगी। यदि सभी देशवासियों के वोट की कीमत एक समान है तो फिर अन्य कानूनी समानताएं क्यों नहीं लागू की जा सकती हैं। आप सहमत हों या नहीं हों, लेकिन देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए नेशनल इंस्पेक्शन ऐंड इन्वेस्टिगेशन कमीशन बनाया जाना बदलते वक्त की मांग है और सरकार को इस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करना चाहिए। आपने देखा-सुना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह विषय लाया गया है कि मुस्लिम लड़कियों के लिए विवाह की उम्र अलग क्यों हो? क्या इससे अन्य कानून प्रभावित नहीं होंगे? वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह आदिवासी महिलाओं को सम्पत्ति से महरूम रखने वाले हिन्द...