सुरंग मेकिंग तकनीक पर विफलता की जिम्मेदारी तय हो
- डॉ. रमेश ठाकुर
अब समय आ गया है कि सुरंग मेकिंग तकनीक विफलता की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। हुकूमतें इस बात को बेशक न मानें, पर टनल इंजीनियरिंग, अंडरपिनिंग व टनलिंग विधि में भारतीय व्यवस्था अब भी काफी पिछड़ी है। पहाड़ों को फाड़कर उनके भीतर टनल (सुरंग) बनाने का अनुभव नहीं है। हालांकि सॉफ्ट-ग्राउंड क्षेत्र में टनल, सब-वे व सीवर बनाने की विधि में हमारी तकनीक कारगर और मजबूत हैं। पहाड़ी दुगर्म क्षेत्रों को तहस-नहस करके उनमें विशालकाय सुरंगें बनाने के लिए आधुनिक तामझाम, टेक्नोलॉजी व उपयुक्त सिस्टम नहीं हैं। यही बड़ा कारण है कि पहाड़ों में बड़े प्रोजेक्ट कामयाब नहीं हो रहे। वहां, इस तरह की परियोजनाओं के विफल होने के पीछे पर्यावरण प्रकोप भी मुख्य वजह है। उत्तराखंड़ में बीते दशक भर में घटी तमाम दर्दनाक घटनाएं इसका ताजा उदाहरण हैं। उन्हीं में यह मौजूदा सुरंग की घटना भी शामिल है, जहां, ब्रह्मखाल-यमुनोत्री ...