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श्रीकृष्ण सच्चे अर्थों में राष्ट्रनायक हैं

अवर्गीकृत
- ललित गर्ग भगवान श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत एवं विलक्षण राष्ट्रनायक हैं। श्रीकृष्ण का चरित्र एक लोकनायक का चरित्र है। वह द्वारिका के शासक भी है किंतु कभी उन्हंे राजा श्रीकृष्ण के रूप में संबोधित नहीं किया जाता। वह तो ब्रजनंदन है। समाज एवं राष्ट्र व्यवस्था उनके लिये कर्त्तव्य थी, इसलिये कर्त्तव्य से कभी पलायन नहीं किया तो धर्म उनकी आत्मनिष्ठा बना, इसलिये उसे कभी नकारा नहीं। वे प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों की संयोजना में सचेतन बने रहे। श्रीकृष्ण के आदर्शों से ही देश एवं दुनिया में शांति स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त होगा। इस रहस्य को समझना होगा कि श्रीकृष्ण किस प्रकार आदर्श राजनीति, व्यावहारिक लोकतंत्र, सामाजिक समरसता, एकात्म मानववाद और अनुशासित सैन्य एवं युद्ध संचालन किया। राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए किस तरह की नीति और नियत चाहिए- इन सब प्रश्नों के उत्तर श्रीकृष्ण के जीवन ...