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स्वातंत्र्यवीर सावरकर: जीवन तिहरे संघर्ष में बीता, दोहरा आजीवन कारावास

स्वातंत्र्यवीर सावरकर: जीवन तिहरे संघर्ष में बीता, दोहरा आजीवन कारावास

अवर्गीकृत
- रमेश शर्मा स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर अकेले ऐसे क्राँतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ। उनका पूरा जीवन तिहरे संघर्ष में बीत। एक संघर्ष राष्ट्र की संस्कृति और परंपरा की पुनर्स्थापना के लिये किया। दूसरा संघर्ष देश को अंग्रेजों से मुक्ति के लिये। तीसरा संघर्ष भारत के अपने ही बंधुओं के लांछन झेलने का। उनका संघर्ष सत्ता के लिए या राजनीति के लिए नहीं अपितु भारत राष्ट्र की अस्मिता और हिन्दु समाज के जागरण के लिए था। उनका और उनके परिवार का पूरा जीवन भारत के स्वत्व की प्रतिष्ठापना के लिए समर्पित रहा। उनका जन्म महाराष्ट्र प्रांत के पुणे जिला अंतर्गत भागुर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। उनकी माता का नाम राधाबाई और पिता का नाम दामोदर पन्त सावरकर था। इनके दो भाई और थे- एक गणेश दामोदर सावरकर और दूसरे नारायण दामोदर सावरकर थे। गणेश सालरकर उनसे बड़े थे और नारायण छोटे। एक बहन नैना...