कारगिल विजय दिवस के शहीदों को नमन
- प्रेम कुमार धूमल
देश में राष्ट्रभक्ति का गज़ब का माहौल था ऐसा लगता था सारा भारत एक है, देश की एकता, अखण्डता, सर्वभौमिकता बचाये रखने के लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार था । कारगिल का संघर्ष क्या शुरू हुआ ऐसा लगा जैसे सारा राष्ट्र और राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक देष के लिये कोई भी कुर्बानी देने को तैयार था । विश्व के इतिहास में पहली बार हुआ जब देशाभक्ति से ओत-प्रोत विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के प्रधानमन्त्री, अटल जी सभी चुनौतियों, चेतावनियों और व्यक्तिगत सुरक्षा के खतरों को नज़र अन्दाज करते हुये 2 जुलाई 1999 को सीमा पर तैनात युद्वरत सैनिकों की पीठ थपथपाने के लिये स्वयं सीमा पर जा पहुंचे । आप अनुमान लगा सकते हैं कि प्रधानमन्त्री को अपने साथ सीमा पर खड़ा देखकर सैनिकों का साहस तो सातवें आसमान पर पहुंचना स्वभाविक था ।
5 जुलाई 1999 को कारगिल के युद्व क्षेत्र में जाने के बाद श्रीनगर के सैनिक अस...