Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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भावना, शोषण और त्रासदी

भावना, शोषण और त्रासदी

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र आज के जटिल तनावों के बीच साधारण आदमी मन की शांति भी चाहता है और अपनी तमन्नाओं को फलीभूत भी करना चाहता है। इन दोनों कामनाओं की पूर्ति के लिए वह भटकता रहता है। उस मनस्थिति में अगर कोई उठ कर हाथ थामने का स्वाँग भी भरे तो बड़ी राहत मिलती है। कुछ ऐसा ही हुआ जब भक्ति, समर्पण और जीवन में उत्कर्ष की आकांक्षा लिए निष्ठा के साथ इकट्ठा हुए श्रद्धालु भक्तों के हुजूम के बीच अचानक हुई भगदड़ के दौरान बीती दो जुलाई को सवा सौ लोगों को असमय ही अपनी जानें गंवानी पड़ी और बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए । यह विचलित कर देने वाला दुखद हादसा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर हाथरस के एक गांव में हुआ। यह मानवीय त्रासदी जनता, धर्म गुरुओं, उपदेशकों और जन-व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार सरकार सब के सामने कई तरह के सवाल छेड़ गई । आज इक्कीसवीं सदी के ज्ञान युग में विकसित भारत का दम भरने वाले, विश्व ...
हिमालय की पीड़ा, जोशीमठ के आंसू

हिमालय की पीड़ा, जोशीमठ के आंसू

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- कुलभूषण उपमन्यु जोशीमठ की त्रासदी ने पूरे देश को अचंभित ही नहीं किया है बल्कि हिमालय में विकास की गाड़ी की दिशा पर भी अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। सदियों पुराना शहर आखिर धंस क्यों रहा है। वैसे तो आजादी के बाद से ही हिमालय के लिए विकास योजना को इस क्षेत्र की भौगोलिक और पर्यावरण की विशिष्टता के कारण अलग दृष्टि से देखा जाने लगा था। इसी कारण योजना आयोग में भी हिमालय का अलग सेल हुआ करता था। अब नीति आयोग में भी हिमालयन क्षेत्रीय परिषद है। इस परिषद का मकसद है कि हिमालय की विशिष्ट नाजुक स्थिति को ध्यान में रखकर विकास का खाका बनाया जा सके। 1992 में डॉ. एसजेड कासिम की अध्यक्षता में योजना आयोग ने हिमालय में विकास की दिशा और दशा को निर्धारित करने के लिए एक ग्रुप का गठन किया था। इस ग्रुप की रपट 1992 में आ गई थी। ऐसी और भी कोशिश हुईं। बावजूद इसके हिमालयी क्षेत्र में विकास के लिए कोई अलग मॉडल विकसित नह...