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युवाओं में तम्बाकू की लत चिंता का विषय

युवाओं में तम्बाकू की लत चिंता का विषय

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- डॉ. रमेश ठाकुर 31 मई को समूचे संसार में वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जाता है जिसे भारत में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस से जानते हैं। सन् 1988 से ये दिवस अमल में आया। अमल के एक वर्ष पूर्व यानी 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तम्बाकू के इस्तेमाल को नियंत्रित करने और जनमानस को इसके नुकसान के बारे में शिक्षित और जागरूक करने का निर्णय लिया था। पिछले साल 2023 में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की थीम थी, ‘हमें भोजन चाहिए, तम्बाकू नहीं। जबकि, 2024 की थीम ‘बच्चों को तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना’ पर निर्धारित है। दरअसल, ये सब्जेक्ट उन नीतियों और उपायों की वकालत करने पर केंद्रित है जो तम्बाकू उद्योग को हानिकारक तम्बाकू उत्पादों के साथ युवाओं को लक्षित करने से रोकते हैं। लगातार दो वर्ष की थीम युवाओं पर केंद्रित रखने का संदेश यही है कि तम्बाकू की लत से युवाओं को किसी भी सूरत में बचाया जाए और इसके द...
विश्व धूम्रपान निषेध दिवस: तम्बाकू का ‘मजा’, मौत की ‘सजा’

विश्व धूम्रपान निषेध दिवस: तम्बाकू का ‘मजा’, मौत की ‘सजा’

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- योगेश कुमार गोयल दशकों से दुनिया में धूम्रपान के दुष्प्रभाव पर अध्ययन हो रहा है। धूम्रपान हर लिहाज से हानिकारक है, यह सभी का निचोड़ है। बावजूद इसके लोग सचेत नहीं हो रहे। किशोर तक इसकी गिरफ्त में हैं। स्थिति लगातार विस्फोटक हो रही है। हम हर वर्ष 31 मई को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर समारोह, गोष्ठी और विभिन्न कार्यक्रमों में धूम्रपान न करने की प्रतिज्ञा कर अगले दिन सब भूल जाते हैं। दरअसल इसके लिए जनमानस के एक हिस्से में घर कर चुकी धारणाएं बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। सच बात तो यह है कि धूम्रपान करने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती आने, मानसिक तनाव कम होने और कब्ज की शिकायत दूर होने जैसी धारणाएं मनगढ़ंत हैं। वास्तविकता यही है कि धूम्रपान धीमा जहर है। इसके सेवन से प्राणघातक बीमारियां जन्म लेती हैं। ऐसे व्यक्ति धीमी गति से मृत्यु शैया तक पहुंच जाते हैं। तमाम जद्दोजहद के बाद धूम्रपान के विज्ञापन तो ब...