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बाघों से मिलेगी शिवपुरी को अंतरराष्ट्रीय पहचानः शिवराज

बाघों से मिलेगी शिवपुरी को अंतरराष्ट्रीय पहचानः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- कहा- महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी लाड़ली बहना योजना भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Rajmata Vijayaraje Scindia) और माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) को नमन करते हुए कहा कि आज का दिन शिवपुरी के लिए ऐतिहासिक है। शिवपुरी जिले में 27 वर्ष बाद फिर से बाघ की वापसी (Tiger returns again after 27 years) हुई है। बाघों का आना न केवल पर्यावरण की दृष्टि से बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है। बाघों के आने से शिवपुरी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। यहाँ बाघ प्रोजेक्ट बनाया जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार को शिवपुरी जिले में लाड़ली बहना संवाद एवं पर्यटन संवर्धन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कन्या-पूजन और दीप जला कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री चौह...
‘चित्रकूट, में बाघों का स्वागत है!’

‘चित्रकूट, में बाघों का स्वागत है!’

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- मुकुंद भगवान श्रीराम की तपोभूमि 'चित्रकूट' बाघों के स्वागत के लिए जल्द तैयार होगी। दुनिया में सफेद शेरों की राजधानी के रूप में विख्यात मध्य प्रदेव के रीवा को इसी चित्रकूट जिले की सीमा मानिकपुर से कुछ दूर पर छूती है। मानिकपुर का 'पाठा' पानी के अभाव और दस्युओं के लिए कुख्यात रहा है। इनकी बर्बरता की वजह से उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के चित्रकूट के इसी 'पाठा' को संसार 'मिनी चंबल' भी कह चुका है। रीवा में साल 2016 में सफेद बाघों का दुनिया का पहला अभयारण्य आबाद हो चुका है। अब केंद्र सरकार ने रानीपुर टाइगर रिजर्व की घोषणा की है। यह इसी पाठा का अभिन्न हिस्सा होगा। अब रानीपुर वन्यजीव विहार बंदूकों की तड़तड़ाहट से नहीं, बाघों की दहाड़ से गूंजेगा। यह उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी पहल का नतीजा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गठित उत्तर प्रदेश राज्य वन्यजीव बोर्ड ने रानीपुर को प्रदेश का च...

भारत में बाघों के शिकार की वजह चीन भी !

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- मुकुंद केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मानसून सत्र के दौरान सोमवार (26 जुलाई, 2022) को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी है कि भारत में पिछले तीन साल में शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से 329 बाघों की मौत हुई है। इस जानकारी में साफ किया गया है कि 2019 में 96, 2020 में 106 और 2021 में 127 बाघ मारे गये। इनमें 68 बाघ प्राकृतिक कारणों, पांच अप्राकृतिक कारणों और 29 बाघ शिकारियों के हमलों में मारे गए। सरकार ने इन आंकड़ों में यह सफाई दी है कि शिकार की घटनाओं में कमी आई है। 2019 में 17 बाघों की शिकारियों ने जान ली। 2021 में यह संख्या घटकर चार रह गई। इस अवधि में देशभर में बाघों के हमलों में 125 लोग मारे गए। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मुताबिक भारत में 2021 में कुल बाघों की मौत की संख्या एक दशक में सबसे ज्यादा है। इस साल 29 दिसंबर तक प्राधिकरण क...