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Tag: ‘The Kerala Story’

मप्रः मुख्यमंत्री शिवराज ने मंत्रि-परिषद के सदस्यों के साथ देखी “द केरल स्टोरी”

मप्रः मुख्यमंत्री शिवराज ने मंत्रि-परिषद के सदस्यों के साथ देखी “द केरल स्टोरी”

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) मंगलवार रात आठ बजे अपने मंत्रि-परिषद के सदस्यों (Council of Ministers) के साथ लव जिहाद और आतंकवाद (love jihad and terrorism) पर बनी फिल्म "द केरल स्टोरी" (Film "The Kerala Story") देखने के लिए पहुंचे। भोपाल के अशोका लेक व्यू (Ashoka Lake View) के ओपन थिएटर में मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रियों के साथ फिल्म देखी। इस मौके पर मुख्यमंत्री चौहान की पत्नी साधना सिंह और अन्य मंत्रियों के परिजन भी साथ थे। इस मौके पर ''द केरल स्टोरी'' की अभिनेत्री अदा शर्मा और प्रोड्यूसर-डायरेक्टर विपुल शाह भी मौजूद रहे। दरअसल, अदा शर्मा व विपुल शाह के साथ "द केरल स्टोरी" फिल्म की टीम ने मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री ने अंगवस्त्रम भेंटकर टीम का स्वागत किया। इस ...
द केरल स्टोरी: सामाजिक समस्याएं उठाना सिनेमा का कर्तव्य

द केरल स्टोरी: सामाजिक समस्याएं उठाना सिनेमा का कर्तव्य

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- हृदयनायरायण दीक्षित कला संगीत और नृत्य का स्रोत आनंद है। आनंद का स्रोत प्रकृति है। प्रकृति रूपों से भरी पूरी है। रूप आँखों से देखे जाते हैं। कविता में उनका वर्णन हो सकता है। नाट्य कला में गीत संगीत और नृत्य एक साथ होते हैं। भारत में अभिनयशास्त्र का विकास प्राचीन काल में ही हो रहा था। भरत मुनि का नाट्य शास्त्र इसका साक्ष्य है। नाट्यशास्त्र पांचवां वेद कहा गया था। गीता अद्वितीय दर्शनशास्त्र है। अपनी विभूतियाँ बताते हुए कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि, `मैं वेदों में सामवेद हूँ।' सामवेद का सम्बंध गायन से है और वेद का अर्थ है ज्ञान। सामवेद में ज्ञान और गान एक साथ हैं। सिनेमा लोकप्रिय माध्यम है। सिनेमा अभिनय और नाटक का ही अति विकसित रूप है। अरबों- खरबों का उद्योग है। सिनेमा में संस्कृति इतिहास और काल्पनिक कथाएं एक साथ हैं। सिने कथाओं का स्रोत प्रत्यक्ष लोक है। प्रकृति में प्रतिपल संगीत हैं। वा...
‘द केरल स्टोरी’- मन को झकझोर देने वाली एक सचाई

‘द केरल स्टोरी’- मन को झकझोर देने वाली एक सचाई

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- वसुधा ‘कनुप्रिया’ सच हमेशा ही कड़वा होता है, बहुत कड़वा। द केरल स्टोरी --- जिसे निर्माता विपुल शाह और निर्देशक सुदीप्तो सेन ने "सत्य घटनाओं पर आधारित" कह कर सिनेमा के परदे पर उतरा है -- मानवीय संवेदना को झंकझोर कर रख देने वाली फिल्म है। जो भी लोग सालों से अख़बार/मैगज़ीन पढ़ते रहे हैं उन्होनें आईसिस (आई.एस.आई.एस.) की बर्बरता के क़िस्से पढ़े हैं, मीडिया में देखे भी हैं। उन्हें जानकारी है की 'सेक्स स्लेव' क्या होती हैं, किस तरह उन्हें अमानवीय रूप से दर्जनों लोग एक के बाद एक रेप करते हैं। तालिबानी सोच के तहत किस तरह लोगों को सरेआम सज़ाएं दी जाती रही हैं, कभी हाथ-पैर काट कर तो कभी गोली मारकर। इन ख़बरों की सत्यता पर कभी प्रश्नचिह्न नहीं लगाया गया। तब फिल्म 'द केरल स्टोरी' में यही दृश्य एक धर्मान्तरित भारतीय लड़की के हवाले से दिखाए जाने पर राजनीतिक तबकों में खलबली क्यों मची है? यह तब, जब एक भुक्तभोगी...
मप्रः मंत्री सारंग ने केरल बंधुओं के साथ देखी “द केरल स्टोरी”

मप्रः मंत्री सारंग ने केरल बंधुओं के साथ देखी “द केरल स्टोरी”

देश, मध्य प्रदेश
- लव जिहाद का कटु सत्य है "द केरल स्टोरीः चिकित्सा शिक्षा मंत्री भोपाल (Bhopal)। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग (Medical Education Minister Vishwas Kailash Sarang) ने केरल (Kerala) में हुई सत्य घटनाओं (true events) पर बनी बहुचर्चित फिल्म "द केरला स्टोरी'' (Movie "The Kerala Story") को मंगलवार शाम को डीबी माल स्थित सिनेपालिस मल्टीप्लेक्स में भोपाल में निवासरत केरल के बंधुओं के साथ देखा। फिल्म देखने के बाद मंत्री सारंग ने कहा कि ‘द केरला स्टोरी’ केवल एक फिल्म नहीं है, बल्कि देश की बहन-बेटियों का जबरन धर्मांतरण (forced conversion) कर उन्हें आतंक के दलदल में धकेलने का सजीव चित्रण है। यह फिल्म लव जिहाद जैसे जघन्य अपराध के कटु सत्य को उजागर करती है। इसके लिये जन-जागरण की भी आवश्यकता है, विशेषकर हमारी बेटियों को यह फिल्म अवश्य देखनी चाहिये, जिससे वे जागरूक हों कि किस प्रकार सुनियो...
द केरला स्टोरी: शांति बनाये रखने का ममता बनर्जी का नायाब तरीका

द केरला स्टोरी: शांति बनाये रखने का ममता बनर्जी का नायाब तरीका

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- डॉ. समन्वय नन्द कुछ दिनों से ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म देशव्यापी चर्चाओं में है। फिल्म में हिन्दू व क्रिश्चियन लड़कियों को बहला-फुसला कर तथा ब्रेन वाश कर इस्लाम में कन्वर्ट किये जाने के घटनाओं को दर्शाया गया है। आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन के आतंकवादियों के यौन दासी बनने के लिए भेजने संबंधी दिल दहला देने संबंधी घटनाओं को दिखाया गया है। सालों के रिसर्च के बाद यह फिल्म बनायी गई है। फिल्म के रिलीज के बाद इसके चरित्रों से मेल खाने वाली लड़कियां मीडिया में आकर आपबीती सुना रही हैं। फिल्म को पूरे देश में सराहा जा रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में अब ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म नहीं देखी जा सकेगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फिल्म को राज्य में बैन करने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इस पर बैन लगाने के पीछे जो तर्क दिया है वह नायाब है। उन्होंने कहा कि ऐसा राज्य ...
द केरला स्टोरीः फिल्म के आंकड़ों से ज्यादा मूल बात को समझने की है

द केरला स्टोरीः फिल्म के आंकड़ों से ज्यादा मूल बात को समझने की है

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- निवेदिता सक्सेना हाल ही में रिलीज हुई फिल्म `द केरला स्टोरी' तथ्यपरख होने के साथ आने वाले भविष्य के लिए एक दस्तक भी है। जो न सिर्फ बेटियों के लिए, वरन हर उस इंसान के लिए जो अब तक अपने जीवन मूल्य के अस्तित्व को न समझ पाया है न ही उसे बताया गया है। एक बालक को कोई अपनी बात मनवाने के लिए झुनझुना पकड़ा दिया जाता है ताकि कुछ समय तक वह भ्रमित रहे और उससे खेलता रहे। वह झुनझुने से निकली आवाज से खुश होता रहे, लेकिन एक उम्र के बाद उसे उस झुनझुने की असलियत पता लगती है, तब वह उसके मायाजाल में नहीं फंसता। ये तो रही बच्चे की बात लेकिन धर्म एवं कर्म के नाम का झुनझुना जिंदगी को पलट देता है। स्थिरं जीवितं लोके ह्यस्थिरे धनयौवने । स्थिराः पुत्रदाराश्च धर्मः कीर्तिर्द्वयं स्थिरम् ॥ इस स्थिर जीवन/संसार में धन, यौवन, पुत्र-पत्नी आदि सबकुछ अस्थिर है। केवल धर्म और कीर्ति ये दो बातें स्थिर हैं। फिलहाल ऐसा भार...
झकझोर देती है ‘द केरला स्टोरी’

झकझोर देती है ‘द केरला स्टोरी’

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- प्रीति जैन फिल्म 'द केरला स्टोरी' में धर्मांतरण का जो मुद्दा उठाया गया है, वह विषय फिल्म के रूप में तो नया है लेकिन यह मुद्दा बहुत लंबे समय से केरल में हिंदू आबादी को लील रहा है। आखिरकार फिल्मकार सुदीप्तो सेन को लगातार नजरअंदाज किए जा रहे गंभीर विषय पर अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी और उन्होंने इस फिल्म में उस सच को दिखाया है जो कश्मीर फाइल्स की तरह ही भारत का एक सच है। इस्लाम के कट्टरपंथियों ने पुरजोर कोशिश की है कि केरल को इस्लामिक स्टेट में बदल दिया जाए और फिर अपने पूर्वज आक्रमणकारियों की भांति भारत को इस्लामिक देश बनाने के मंसूबों को कामयाब किया जाए। उनकी यह कोशिश सालों की मेहनत के बाद भी उस तरह रंग नहीं ला पा रही हैं जिस तरह द्रुतगति से वे प्रयास कर रहे हैं। भारत की संस्कृति, संस्कार इतने मजबूत हैं कि उसकी नींव को आसानी से खोद कर उसकी जड़ें उखाड़ फेंकना, लोहे के चने चबाने जैसा है। लेकिन...