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मप्र में आधुनिक संसाधनों और तकनीक का उपयोग कर लाएंगे सुशासन : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मप्र में आधुनिक संसाधनों और तकनीक का उपयोग कर लाएंगे सुशासन : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
- संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री, कहा- प्रदेश में सभी वर्गों के उत्थान और विकास कार्य जारी भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में युवाओं, महिलाओं, किसानों, गरीबों सहित सभी वर्गों के उत्थान और विकास कार्य जारी हैं। युवाओं के कौशल विकास के लिए राज्य सरकार मिशन मोड में काम कर रही है। युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उद्योगों में महिलाओं को रोजगार देने के लिए अवसर बढ़ाए जा रहे हैं। गरीबों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की गई हैं। प्रदेश में आधुनिक संसाधनों और तकनीक का उपयोग करते हुए सुशासन के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार शाम को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इन्टरनेशनल कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित संवाद कार्यक्रम में प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नदी जोड़ो अभियान से किसानों को सिंचाई के क्षेत्र में बहुत अधिक...
तपती गर्मी में मुफीद है मटके का पानी

तपती गर्मी में मुफीद है मटके का पानी

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर आधुनिक चकाचौंध में टेक्नोलॉजी से लबरेज युग में देसी मटकों का क्रेज आज भी बरकरार है। दूषित पानी के इस्तेताल से बढ़ते मरीजों को जबसे चिकित्सकों ने मटके का पानी पीने की सलाह दी है, लोगों का रुझान अनायास घड़ों की ओर दौड़ा है। मिट्टी का ये आइटम न सिर्फ मन को भाता है, बल्कि चिलचिलाती गर्मी में सूखे गलों को भी तरबतर कर देता है। घड़े का पानी पीने में तरावट आती है। गले में अलौकिक ठंड़क पड़ती है, क्योंकि घड़े के पानी में मिट्टी की सोंधी-सोंधी सुगंध जो आती है। घड़े का पानी जमीन से तुरंत निकले ताजे पानी जैसा अहसास करवाता है। गर्मियों में जब घड़ों की डिमांड बढ़ती है तो कुम्हारों का व्यवसाय भी खूब फलने-फूलने लगता है। इस सीजन में उनकी आमदनी में अचानक से उछाल आता है। इस समय मटकों की कीमत दो सौ से लेकर हजार रुपए तक पहुंची हुई है। मटको की बढ़ती डिमांड को देखकर अब ऑनलाइन सेल्स कंपनियां भी कूद प...
शिक्षा, ज्ञान और नैतिकता

शिक्षा, ज्ञान और नैतिकता

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। ज्ञान का विस्फोट हो रहा। इस युग की मान्यता है कि ज्ञान अपने आप में ‘सेकुलर’ (यानी निर्दोष!) होता है और उसका किसी तरह के मानवीय मूल्य से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वह सबकुछ से परे अर्थात् निरपेक्ष-निष्पक्ष होता है। आज विज्ञान की साखी के साथ (सफ़ेद कोट से सजे) विज्ञापनों की धूम मच रही है। कभी ज्ञान को शक्ति का महान स्रोत घोषित किया गया (नोलेज इज पावर!)। वह छवि आज भी विद्यमान है। विद्या के परिसरों में भी मानविकी (ह्यूमेनिटीज), विज्ञान (साइंस) और प्रौद्योगिकी (टेक्नोलोजी) के आगे बेहद फीकी पड़ रही है। आज विज्ञान से बढ़त पाकर कुछ देश शेष विश्व पर नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। शायद इसी सोच के साथ परमाणु बम जैसे संहारक अस्त्र-शस्त्र भी बनते गए। आज भी संहार की विभीषिका का अनुभव करने के बाद भी नए-नए ज़्यादा से ज़्यादा संहार शक्ति वाले अस्त्...

अब सरकार का ट्रेड, टेक्नोलॉजी और टूरिज्म 3टी पर है फोकस: पीयूष गोयल

देश, बिज़नेस
- गोयल ने कहा, भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Commerce and Industry Minister Piyush Goyal) ने कहा कि अगर भारत (India) को सौ साल की उम्र में एक विकसित राष्ट्र (developed nations) बनना है, तो इसमें विदेशी व्यापार (foreign trade) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि अब सरकार का ट्रेड, टेक्नोलॉजी और टूरिज्म (Trade, Technology and Tourism) 3टी पर फोकस (focus on 3T) है। पीयूष गोयल ने मंगलवार को वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम के साथ वाणिज्य विभाग के पुनर्गठन पर रिपोर्ट का विमोचन करने के बाद यह बात कही। अपने संबोधन में गोयल ने कहा कि पिछले कुछ साल से सरकार का निर्यात पर विशेष ध्यान है। उन्होंने कहा कि निर्यात पर विशेष ध्यान साल 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के तहत दिया गया है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि अगर...