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शिक्षक दिवस: जीवन जीने का सलीका सिखाते हैं शिक्षक

शिक्षक दिवस: जीवन जीने का सलीका सिखाते हैं शिक्षक

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- योगेश कुमार गोयल विश्वभर में लगभग सभी महापुरुषों ने शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता की संज्ञा दी है। गुरु रूपी इन्हीं शिक्षकों को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा दिन है, जब छात्र अपने शिक्षकों अर्थात गुरुओं को उपहार देते हैं। पहले जहां गुरुकुल परंपरा हुआ करती थी और उस समय जीवन की व्यावहारिक शिक्षा इन्हीं गुरुकुल में गुरु दिया करते थे, आज नए जमाने में गुरुओं का वही अहम कार्य शिक्षक पूरा कर रहे हैं, जो छात्रों के सच्चे मार्गदर्शक बनकर उन्हें स्कूल से लेकर कॉलेज तक वह शिक्षा देते हैं, जो उन्हें जीवन में बुलंदियों तक पहुंचाने में सहायक बनती है। आज भले ही शिक्षा प्राप्त करने या ज्ञानोपार्जन के लिए अनेक तकनीकी साधन सुलभ हैं किन्तु एक अच्छे शिक्षक की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। जिस प्रकार एक अच्छा शिल्पकार किसी भी पत्थर को तराशकर उसे खूबसूरत रूप द...
केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के एक तिहाई पद खाली तो किसके भरोसे संस्थान

केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के एक तिहाई पद खाली तो किसके भरोसे संस्थान

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के समग्र रूप से 33 प्रतिशत से भी अधिक पदों का खाली होना हमारी उच्च शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख देने की लिए काफी है। मजे की बात यह है कि कई राज्यों के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में तो यह आंकड़ा 88 प्रतिशत तक पहुंच रहा है। यह कोई खयाली आंकड़ा नहीं है बल्कि केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्रालय द्वारा पिछले दिनों सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में सामने आया है। यह और अधिक चिंतनीय इस मायने में हो जाता है कि इन आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे तो इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि किन्हीं केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में तो किसी विषय विशेष में एक भी प्रोफेसर न हों। क्योंकि विश्वविद्यालय हिन्दी, अंग्रेजी या गणित के भरोसे नहीं अपितु विश्वविद्यालयों में अनेक संकाय होते हैं। संकायों में भी अनेक विषय और विषयों में भी विशिष...

शिक्षकों के आत्मचिंतन और आत्ममंथन का पर्व बने शिक्षक दिवस

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- सुरेन्द्र किशोरी हर वर्ष पांच सितम्बर को भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इनका जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु के तिरुटन्नी में पांच सितम्बर 1888 को हुआ तथा इन्हें भारतीय दर्शन का इतना गहरा ज्ञान था कि इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए दुनिया के कई देशों से इन्हें आमंत्रण मिलते रहता था। लोग इनके व्याख्यानों को बड़ी ही रुचि के साथ सुनते थे और भारतीय दर्शन के मर्म को समझते थे। इनके आकर्षक व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने ''सर'' की उपाधि प्रदान की। एक आदर्श शिक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले स्वतंत्र भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की, ताकि लोग शिक्षकों का सम्मान करें, उनके महत्त्व को समझें। आज भी देश में शिक्षा की क्रांति लाने में सबसे अहम भ...