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अदानी समूह तमिलनाडु में 42 हजार 700 करोड़ रुपये का निवेश करेगा

अदानी समूह तमिलनाडु में 42 हजार 700 करोड़ रुपये का निवेश करेगा

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। अदानी समूह (Adani Group) ने सोमवार को तमिलनाडु ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2024 (Tamil Nadu Global Investors Meet 2024) में 42,700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश (Investments worth more than Rs 42,700 crore) के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए। अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (Adani Green Energy Limited) अगले 5-7 सालों में तीन पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (पीएसपी) में 24,500 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा निवेश करेगा। अदानी कॉनेक्स आने वाले सात वर्षों में हाइपरस्केल डेटा सेंटर में 13,200 करोड़ रुपये का निवेश करेगा, जबकि अंबुजा सीमेंट्स अगले पांच सालों में तीन सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट में 3,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। अदानी टोटल गैस लिमिटेड आठ साल में 1,568 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, राज्य उद्योग मंत्री टी.आर.बी. राजा और अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इको...
डॉ. कलाम के विचार, प्रभावित करते हैं बारंबार

डॉ. कलाम के विचार, प्रभावित करते हैं बारंबार

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद् और देश के महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे महानायक हैं, जिन्होंने अपना बचपन अभावों में बीतने के बाद भी अपना पूरा जीवन देश और मानवता की सेवा में व्यतीत कर दिया। न केवल भारत के लोग बल्कि पूरी दुनिया मिसाइल मैन डॉ. कलाम की सादगी, धर्मनिरपेक्षता, आदर्शों, शांत व्यक्तित्व और छात्रों व युवाओं के प्रति उनके लगाव की कायल रही है। वह देश को वर्ष 2020 तक आर्थिक शक्ति बनते देखना चाहते थे। युवा पीढ़ी को दिए गए उनके प्रेरक संदेश तथा उनके स्वयं के जीवन की कहानी तो देश की आने वाले कई पीढ़ियों को भी सदैव प्रेरित करने का कार्य करती रहेगी। छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए वह अकसर कहा करते थे कि छात्रों के जीवन का एक तय उद्देश्य होना चाहिए और इस उद्देश्य को...
हिंदी के नाम पर आत्महत्या क्यों?

हिंदी के नाम पर आत्महत्या क्यों?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत के संविधान दिवस पर तमिलनाडु के एक व्यक्ति ने यह कहकर आत्महत्या कर ली कि केंद्र सरकार तमिल लोगों पर हिंदी थोप रही है। आत्महत्या की यह खबर पढ़कर मुझे बहुत दुख हुआ। पहली बात तो यह कि किसी ने हिंदी को दूसरों पर लादने की बात तक नहीं कही है। तमिलनाडु की पाठशालाओं में कहीं भी हिंदी अनिवार्य नहीं है। हां, गांधीजी की पहल पर जो दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा बनी थी, वह आज भी लोगों को हिंदी सिखाती है। हजारों तमिलभाषी अपनी मर्जी से उसकी परीक्षाओं में भाग लेते हैं। आत्महत्या करनेवाले सज्जन चाहते तो वे इसका भी विरोध कर सकते थे लेकिन विरोध का यह भी क्या तरीका है कि कोई आदमी अपनी या किसी की हत्या कर दे। जो अहिंदी भाषी हिंदी नहीं सीखना चाहें, उन्हें पूरी स्वतंत्रता है लेकिन वे कृपया सोचें कि ऐसा करके वे अपना कौन सा फायदा कर रहे हैं? क्या वे अपने आप को बहुत संकुचित नहीं कर रहे हैं?...